पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-2 से पीछे चल रही भारतीय टीम को अगर एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी जीतनी है तो उसे बर्मिंघम की तरह पहली बार मैनचेस्टर का भी किला जीतना होगा। भारत को सीरीज का चौथा मैच 23 तारीख से मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड स्टेडियम में इंग्लैंड के विरुद्ध खेलना है। इस मैदान पर भारतीय टीम कोई टेस्ट नहीं जीती है।

पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-2 से पीछे चल रही भारतीय टीम को अगर एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी जीतनी है तो उसे बर्मिंघम की तरह पहली बार मैनचेस्टर का भी किला जीतना होगा।
भारत को सीरीज का चौथा मैच 23 तारीख से मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड स्टेडियम में इंग्लैंड के विरुद्ध खेलना और अगर यहां के इतिहास के पन्नों को पलटें तो पता चलता है कि पिछले 90 साल में भारत ने यहां नौ टेस्ट खेले हैं जिसमें एक में भी जीत नहीं मिली है।
गिल रच सकते इतिहास
कप्तान शुभमन गिल की सेना इस बार बर्मिंघम के एजबेस्टन स्टेडियम में मिली पहली जीत से प्रेरणा लेकर यहां भी इतिहास रच सकती है। लार्ड्स में 22 रनों से हार के बाद बेकनहैम में एक दिन अभ्यास करके भारतीय टीम मैनचेस्टर पहुंच चुकी है।
मैनचेस्टर उन टेस्ट मैदानों में से एक है जहां भारत ने बिना जीत के नौ मैच खेले हैं। भारतीय टीम ने आखिरी बार यहां टेस्ट मैच 2014 में खेला था। 11 साल पहले महेंद्र सिंह धोनी की अगुआई में जब भारत पिछली बार यहां आई थी तो उसे पारी और 54 रन की हार का सामना करना पड़ा था। यह मैच तीन दिन में खत्म हो गया था।
6 बल्लेबाजों का नहीं खुला था खाता
धोनी ने पहली पारी में भारत की ओर से सबसे ज्यादा 71 रन बनाए थे। दूसरी पारी में रविचंद्रन अश्विन (46) भारत के सर्वश्रेष्ठ स्कोरर थे। उस मैच में भारत ने एक पारी में छह बल्लेबाजों के शून्य पर आउट होने के तत्कालीन रिकॉर्ड की बराबरी की थी।
पहली पारी में मुरली विजय, चेतेश्वर पुजारा, विराट कोहली, रवींद्र जडेजा, भुवनेश्वर कुमार और पंकज सिंह शून्य पर आउट हुए थे। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ गुलाबी गेंद के टेस्ट में वेस्टइंडीज के सात बल्लेबाजों ने शून्य पर आउट होकर उस रिकॉर्ड को तोड़ दिया है।
सचिन से सीखना होगा
इस बार भी मैनचेस्टर की परिस्थितियां बल्लेबाजों के लिए मुश्किल नजर आ रही हैं। लीड्स और बर्मिंघम में बल्लेबाजों को आसन पिच और बढ़िया धूप मिली थी। लॉर्ड्स में भी खूब गर्मी थी और दूसरी पारी में असमान उछाल देखने को मिला था लेकिन यहां पर बारिश होने और बादल छाए रहने की संभावना है। ऐसे में बल्लेबाजों की राह दुरूह हो सकती है। भारतीय बल्लेबाजों को यहां पर सचिन से सीखना होगा।
1990 में लगाया था शतक
सचिन ही ओल्ड ट्रैफर्ड में शतक लगाने वाले आखिरी भारतीय बल्लेबाज हैं। 1990 में इंग्लैंड में अपना दूसरा ही टेस्ट खेल रहे 17 वर्षीय तेंदुलकर ने मुश्किलों और उम्मीदों को झुठलाते हुए चौथी पारी में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय शतक लगाया था जो किसी भारतीय का इस मैदान पर आखिरी शतक है। उस मैच में भारत को 408 रनों का चुनौतीपूर्ण लक्ष्य मिला था। जब एक दिन का खेल बाकी था तब भारत ने 109 रनों पर चार विकेट गंवा दिए थे।
तब तेंदुलकर मैदान पर उतरे और अपना पहला शतक जड़ा। तेंदुलकर 189 गेंदों पर 119 रन बनाकर नाबाद रहे और 225 मिनट क्रीज पर बिताए। भारत ने 90 ओवरों में छह विकेट पर 343 रन बनाए और सचिन ने एक मुश्किल दौर में फंसे मैच को ड्रॉ करा लिया। इस मैच में अनिल कुंबले का पदार्पण हुआ था।
उस मैच में कुल छह शतक लगे (भारत की तरफ से दो, इंग्लैंड की तरफ से चार) लेकिन तेंदुलकर के धैर्यपूर्ण शतक के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार मिला। दिलचस्प बात यह है कि भारत 21वीं सदी में ओल्ड ट्रैफर्ड में केवल एक बार ही खेला है। 2014 में भारत की बल्लेबाजी बुरी तरह से ध्वस्त हो गई थी। टीम दो पारियों में केवल 152 और 161 रन ही बना पाई थी।
कुछ रोचक आंकड़े09 टेस्ट भारत ने मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड स्टेडियम में खेले हैं।
पिछले 89 सालों में इस मैदान पर भारत को चार बार हार का सामना करना पड़ा है।
भारत ने यहां पहला टेस्ट 1936 और आखिरी टेस्ट 2014 में खेला था।
02 बार इस मैदान में भारत को 100 रनों से अधिक अंतर से और दो बार पारी की हार का सामना करना पड़ा है। पांच मैच ड्रा हुए हैं।
1990 के टेस्ट में सचिन तेंदुलकर और तत्कालीन कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने शतक लगाए थे।
इस मैदान पर आखिरी शतक लगाने वाले बल्लेबाज सचिन हैं।
35 साल से इस मैदान पर किसी भारतीय ने टेस्ट शतक नहीं लगाया है।
1990 से पहले भारत ने ओल्ड ट्रैफर्ड में सात मैचों में केवल छह शतक लगाए थे।
मैनचेस्टर में खेले गए टेस्ट मैचों में भारत का प्रदर्शन25 जुलाई 1936, ड्रॉ
20 जुलाई 1946, ड्रॉ
17 जुलाई 1952, हार
23 जुलाई 1959, हार
5 अगस्त 1971, ड्रॉ
6 जून 1974, हार
24 जून 1982, ड्रॉ
9 अगस्त 1990, ड्रॉ
7 अगस्त 2014, हार
मैनचेस्टर में शतक जड़ने वाले भारतीय1936: विजय मर्चेंट, 114
1936: सैयद मुश्ताक अली, 112
1959: अब्बास अली बेग, 112
1959: पाली उमरीगर, 118
1974: सुनील गावस्कर, 101
1982: संदीप पाटिल, 129*
1990: मोहम्मद अजहरुद्दीन, 179
1990: सचिन तेंदुलकर, 119*
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