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Friday, August 11, 2017

MP आए और पचमढ़ी नहीं देखा तो क्या देखा, पांडवों ने बिताया था एक साल

पचमढ़ी। सतपुड़ा पर्वत के मनोरम पठार पर अवस्थित पचमढ़ी का प्राकृतिक सौंदर्य ऐसा अनोखा है कि वहां पहुंचकर कोई भी पर्यटक मंत्रमुग्ध सा रह जाता है। ग्रीष्मकाल में जब मैदानी भाग लू के तपते थपेड़ों से व्याकुल रहते हैं तब पचमढ़ी में शीतल समीर के झोंकों का स्पर्श अत्यंत आनंददायी तथा सुखद प्रतीत होता है। पर्वतीय जलवायु स्वास्थ्यवर्धक है ही। पचमढ़ी का शाब्दिक अर्थ है पांच कुटियां जो अब इन विद्यमान पांच गुफाओं की सूचक हैं। प्रचलिलत दंत कथा के अनुसार इनमें पांडवों ने वनवास काल का एक वर्ष बिताया था। प्राचीन वास्तुवेत्ता इन गुफाओं को बौद्धकालीन मानते हैं, जो संभवत:  सांची और अजन्ता के बीच की संयोजन कड़ियां की प्रतीक हैं।

दर्शनीय स्थल
प्रियदर्शिनी, हाड़ीखोह पचमढ़ी की सबसे प्रभावोत्पादक घाटी है। अप्सरा, विहार, रजत प्रपात, राजगिरि, लांजी गिरी, आईरीन सरोवर, जलावतरण (डचेस फॉल), जटाशंकर, छोटा महादेव, महादेव, चौरागढ़, धूपगढ़, पांडव गुफाएं, गुफा समूह, धुंआधार, भ्रांत नीर (डोरोथी डिप), अस्तांचल, बीनवादक की गुफा (हार्पर केव) तथा सरदार गुफा देखने योग्य हैं।

कैसे पहुंचे
वायु सेवा:  निकटवर्ती हवाई अड्डा भोपाल (195 किमी) है जो दिल्ली, ग्वालियर, इंदौर, और मुंबई से नियमित उड़ानों से जुड़ा है।

ट्रेन से ऐसे पहुंचे : इलाहबाद के रास्ते मुंबई-हावड़ा मुख्य मार्ग पर पिपरिया (47 कि.मी.) सबसे सुविधा जनक रेलवे स्टेशन है।

सड़क मार्ग: भोपाल, होशंगाबाद, नागपुर, पिपरिया और छिंदवाड़ा से पचमढ़ी के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं।

ठहरने के स्थान: मध्यप्रदेश पर्यटन निगम के होटल एवं मोटल, डाक बंगला, साडा रेस्ट हाउस तथा निजी होटल उपलब्ध है।


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