■ टिंकू मंडराई की facebook वॉल से
भोपाल, ब्यूरो। सोशल मीडिया में आजकल एक संदेश तेजी से viral हो रहा है। हम आपको बता रहे क्या है यह संदेश... पढ़िए और कमेंट बॉक्स में अपनी राय दीजिए....
#LPG गैस सिलेण्डर की भी ‛एक्सपायरी डेट’ होती है।
एक्सपायरी डेट निकलने के बाद गैस सिलेंडर को इस्तेमाल करना बम की तरह खरतनाक हो सकता है। आमतौर पर गैस सिलेंडर की रिफील लेते समय उपभोक्ताओं का ध्यान इसके वजन और सील पर ही होता है।
उन्हें सिलेंडर की एक्सपायरी डेट की जानकारी ही नहीं होती।
इसी का फायदा एलपीजी की आपूर्ति करने वाली कंपनियां उठाती हैं और धड़ल्ले से एक्पायरी डेट वाले सिलेंडर रिफील कर हमारे घरों तक पहुंचाती हैं।
यहीं कारण है कि गैस सिलेंडरों से हादसे होते हैं।
कैसे पता करें एक्सपायरी डेट...
सिलेंडर के उपरी भाग पर उसे पकड़ने के लिए गोल रिंग होती है और इसके नीचे तीन पट्टियों में से एक पर काले रंग से सिलेण्डर की एक्सपायरी डेट अंकित होती है।
इसके तहत अंग्रेजी में A, B, C तथा D अक्षर अंकित होते है तथा साथ में दो अंक लिखे होते हैं।
A अक्षर साल की पहली तिमाही (जनवरी से मार्च),
B साल की दूसरी तिमाही (अप्रेल से जून),
C साल की तीसरी तिमाही (जुलाई से सितम्बर)
D साल की चौथी तिमाही अर्थात अक्टूबर से दिसंबर को दर्शाते हैं।
इसके बाद लिखे हुए दो अंक एक्सपायरी वर्ष को संकेत करते हैं।
यानि यदि सिलेंडर पर A 11 लिखा हुआ हो तो सिलेंडर
की एक्सपायरी मार्च 2011 है। इस सिलेंडर का "मार्च 2011" के बाद उपयोग करना खतरनाक होता है।
इस प्रकार के सिलेंडर बम की तरह कभी भी फट सकते हैं।
ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं को चाहिए कि वे इस प्रकार के
एक्सपायर सिलेंडर को लेने से मना कर दें तथा आपूर्तिकर्त्ता एजेंसी को इस बारे में सूचित करें।
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