नेपाल के दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जनकपुर में कहा कि भारत और नेपाल दो देश हैं, 'लेकिन हमारी मित्रता आज की नहीं त्रेता युग की है'.
PM मोदी ने नेपाल के PM के पी शर्मा ओली के साथ जनकपुर से अयोध्या के बीच सीधी बस सेवा की भी शुरुआत की. साल 2014 में नरेंद्र मोदी की नेपाल यात्रा से संदेश गया था कि उच्च स्तर पर भी भारत की नेपाल में रुचि है लेकिन September 2015 में 'नाकाबंदी' के दौरान उभरे भारत विरोधी प्रदर्शनों ने संबंधों पर गहरी छाप छोड़ी.
ये 'नाकाबंदी' उस वक़्त हुई जब नेपाल April 2015 के भीषण भूकंप से उबर भी नहीं पाया था.
नेपाल तेल और कई सामानों के लिए भारत पर आश्रित है. ये वो दौर था जब पेट्रोल, डीज़ल मिल नहीं रहा था या फिर चार या पांच गुना दाम पर मिल रहा था. खाने का सामान, दवाइयां, सभी की कमी हो गई थी. बच्चे, बूढ़े सड़कों पर निकलकर 'ब्लॉकेड' के विरोध में नारे लगा रहे थे.
भारत ने कहा नेपाल में सप्लाई में रुकावट के पीछे नेपाल के आंतरिक हालात थे. लेकिन नेपाल सरकार से लेकर दरबार स्क्वेयर पर रेहड़ी लगाने वाले लोग भारत को ज़िम्मेदार मानते हैं.
प्रधानमंत्री मोदी के दौरे को लेकर ट्विटर पर लोग 'ब्लॉकेड वाज़ क्राइम', 'मोदी नॉट वेलकम इन नेपाल', 'मोदी से सॉरी फ़ॉर ब्लॉकेड' हैशटैग के साथ ट्वीट कर रहे हैं. भीम आत्रेय ने लिखा, ''छह महीने तक तेल, खाद्य सामान, दवाओं की कमी. दर्द अभी भी ताज़ा है मिस्टर मोदी.''
भारत विरोधी नहीं लेकिन मोदी से नाराज़गी
शैलेश पोखरेल ने ट्विटर पर लिखा, "हम आपका स्वागत नहीं कर रहे हैं इसका मतलब ये नहीं कि हम भारत विरोधी हैं."
काठमांडू के केंद्र में दरबार स्क्वेयर के नज़दीक धीमी आवाज़ में बात करने वाले हरिशंकर वैद्य मिले. आसपास भूकंप से तबाह इमारतों के पुनर्निर्माण का काम चीन और अमरीका की मदद से चल रहा था. वैद्य ने बताया, "स्थिति के लिए नेपाल और भारत सरकार दोनों ज़िम्मेदार थे. हमने सोचा भारत जितनी सज़ा देगा हम सहेंगे. मोदी ने भूकंप के बाद एक ख़रब डॉलर देने की बात कही थी, लेकिन सिर्फ़ 25 % दिया है."
रोजिता श्रेष्ठ ने कहा, "अब मोदी आएं तो अच्छा करके जाएं. ऐसी समस्या दोबारा नहीं आनी चाहिए."
याद रहे September 2015 में मधेशी संगठनों ने आंदोलन चलाया और आरोप लगाया कि नए संविधान में उनके अधिकारों, आकाक्षाओं का ध्यान नहीं रखा गया. भारत ने नेपाल से सभी को साथ लेकर चलने की सलाह दी थी. नेपाल में माना जाता है कि भारत ने मधेशियों का पक्ष लेने के लिए और नेपाल को सज़ा देने के इरादे से सामान की सप्लाई रोक दी. भारत इन आरोपों से इनकार करता है.
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