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Sunday, August 11, 2024

बांग्लादेश की राजनीति में अब सेना निभाएगी अहम रोल? अंतरिम सरकार को मुखौटा बनाकर आर्मी चल रही कौन सी चाल

 बांग्लादेश की राजनीति में अब सेना निभाएगी अहम रोल? अंतरिम सरकार को मुखौटा बनाकर आर्मी चल रही कौन सी चाल


Bangladesh के राजनीतिक गलियारे में उठा-पटक जारी है। इस उथल-पुथल के बीच ऐसा माना जा रहा है कि देश में अंतरिम सरकार जितने लंबे वक्त तक सत्ता में रहेगी सेना की तानाशाही बढ़ने का खतरा उतना ही ज्यादा होगा। विल्सन सेंटर में दक्षिण एशिया संस्थान के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने बांग्लादेश की राजनीति को लेकर कई खुलासे किये साथ ही शेख हसीना की वापसी को लेकर भी संभावनाएं जताई।

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार को आगे कर सेना कर रही राजनीतिक हस्तक्षेप

विल्सन सेंटर में दक्षिण एशिया संस्थान के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने शनिवार को कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार जितने लंबे समय तक सत्ता में रहेगी, देश की राजनीति में सेना की अधिक निर्णायक भूमिका होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी।

माइकल कुगेलमैन की यह टिप्पणी बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपदस्थ किये जाने के बाद चल रही राजनीतिक अशांति के बीच आई है। बता दें कि बांगलादेश में चल रही हिंसा और राजनीतिक उठा-पटक के कारण आम चुनावों का समय अनिश्चित हो गया है।

हसीना की पार्टी अवामी लीग फिलहाल हाशिये पर

कुगेलमैन ने इस बात पर जोर दिया कि हसीना की पार्टी अवामी लीग फिलहाल हाशिये पर है और अंतरिम सरकार में उसका कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर अशांति जारी रहती है, तो अवामी लीग भविष्य के चुनावों में फिर से लोकप्रिय हो सकती है।




'सेना की राजनीति में अधिक निर्णायक भूमिका निभाने की संभावना'

न्यूज एजेंसी एएनआई के साथ एक इंटरव्यू में, कुगेलमैन ने कहा, 'अगर एक या दो साल बीत जाते हैं, अगर अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं होता है, अगर अशांति जारी रहती है, तो मुझे लगता है कि चुनावों में अवामी लीग का पक्ष लिया जा सकता है। अब, मैं यह भी कहूंगा कि जब हम भविष्य के राजनीतिक परिदृश्यों के बारे में बात कर रहे हैं। अंतरिम सरकार जितनी अधिक समय तक सत्ता में रहेगी, मुझे लगता है कि सेना के राजनीति में अधिक निर्णायक भूमिका निभाने की संभावना बढ़ जाती है।'



'सेना निभा सकती है बांग्लादेश की पॉलिटिक्स में अहम रोल'

कुगेलमैन ने आगे कहा कि मेरा मानना ​​है कि सेना अब वह सेना नहीं रही जो कल थी। पिछले दशकों में जब यह तख्तापलट कर रही थी और इसकी भूमिका अधिक राजनीतिक थी, तो पिछले कुछ दशकों में यह बैरक के पीछे रहने में सहज लग रही थी, निश्चित रूप से 2009 से जब शेख हसीना सत्ता में आईं।



लेकिन इस निरंतर शून्यता और इन अनिश्चितताओं के साथ और चुनाव और अंतरिम सरकार की ओर कोई स्पष्ट रास्ता न होने के कारण, मुझे लगता है कि सेना ऐसी स्थिति में है, जो डिफ़ॉल्ट रूप से अधिक राजनीतिक भूमिका निभा सकती थी। हम जानते हैं कि 2006, 2007 और 2008 में, जब आपके पास एक लंबी अंतरिम सरकार थी (जो सेना के नेतृत्व में थी) भले ही वह सेना से प्रभावित थी। इसलिए हमें उस संभावित राजनीतिक भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए जो आगे चलकर सेना द्वारा निभाई जा सकती है।
'शेख हसीना की राजनीति में वापसी की संभावना'

दक्षिण एशिया संस्थान के निदेशक माइकल ने कहा कि भविष्य में सेना द्वारा निभाई जाने वाली संभावित राजनीतिक भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। शेख हसीना की राजनीति में वापसी की संभावना पर कुगेलमैन ने संदेह जताया, लेकिन वापसी की संभावना से इनकार नहीं किया।
बांग्लादेश में राजनीतिक बदलाव 'असाधारण'

कुगेलमैन ने बांग्लादेश में राजनीतिक बदलाव को 'असाधारण' बताया और कहा कि स्थिति बहुत तेजी से बदली है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर, खासकर युवा बांग्लादेशियों के बीच यूनुस के महत्वपूर्ण समर्थन पर भी प्रकाश डाला।

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