इंग्लैंड में भारतीय टीम की कमान संभालेगा मुंबई का यह प्लेयर, लॉर्ड्स तक का सफर तय करने की कहानी बेहद रोचक
सपने वास्तव में सच हो सकते हैं यह रवींद्र गोपीनाथ संते ने सच साबित करके दिखाया है। मुंबई के रवींद्र गोपीनाथ संते को भारत की मिक्सड डिसेबिलिटी क्रिकेट टीम का कप्तान नियुक्त किया गया है। भारत और इंग्लैंड टीम के बीच 7 मैचों की टी20 सीरीज खेली जाएगी। सीरीज की शुरुआत 21 जून से हो रही है और इसका तीसरा मुकबला 25 जून को लॉर्ड्स में होगा।

सपने वास्तव में सच हो सकते हैं, यह रवींद्र गोपीनाथ संते ने सच साबित करके दिखाया है। मुंबई के रवींद्र गोपीनाथ संते को भारत की मिक्सड डिसेबिलिटी क्रिकेट टीम का कप्तान नियुक्त किया गया है। भारत और इंग्लैंड टीम के बीच 7 मैचों की टी20 सीरीज खेली जाएगी। सीरीज की शुरुआत 21 जून से हो रही है और इसका तीसरा मुकबला 25 जून को लॉर्ड्स में होगा। एक और शानदार मुकाबला 1 जुलाई को ब्रिस्टल में होना है। जहां टीम डबल-हेडर खेलेगी। जिसमें भारतीय महिला टीम उसी शाम इंग्लैंड से भिड़ेगी। उस मैच का सीधा प्रसारण स्काई स्पोर्ट्स पर किया जाएगा, जबकि सभी मैचों को भारत में सोनी लिव पर स्ट्रीम किया जाएगा।
रवींद्र गोपीनाथ संते का मुंबई से लॉर्ड्स तक का सफर काफी रोचक है। यह भारत में विकलांग क्रिकेटरों को प्रेरित करने वाला है। बचपन से ही दाहिने हाथ में लकवा होने के बावजूद इस बाएं हाथ के स्पिन ऑलराउंडर को मुंबई के शीर्ष स्थानीय टूर्नामेंटों में अपनी छाप छोड़ने से नहीं रोका जा सका। उन्होंने कांगा लीग और टाइम्स शील्ड लीग में अपने प्रदर्शन का लोहा मनवाया। उन्होंने सक्षम क्रिकेटरों का सामना किया। अपने शुरुआती दिनों में संते भारतीय मिश्रित विकलांग टीम के सहायक और फील्डिंग कोच रवींद्र पाटिल से ट्रेनिंग लेने के लिए रोजाना लोकल ट्रेन से डोंबिवली से विरार 116 किलोमीटर की यात्रा करते थे।
रवींद्र गोपीनाथ संते ने गुरुवार को मुंबई मिरर से कहा, "भारत की मिश्रित विकलांगता टीम का नेतृत्व करना गर्व की बात है। यह एक नया और अलग अनुभव होगा क्योंकि पहले अलग-अलग विकलांगताओं के लिए अलग-अलग टीमें होती थीं। यह पहली बार है जब भारत मिश्रित विकलांगता टीम उतार रहा है और इसमें शारीरिक, सीखने और सुनने/बोलने की अक्षमता वाले खिलाड़ी शामिल हैं। सभी तीन विकलांगता श्रेणियां पहली बार एक साथ आ रही हैं।"
उन्होंने कहा, "जब मैंने शुरुआत की थी तो हम ट्रेन में यात्रा करते थे, अक्सर राष्ट्रीय टूर्नामेंट के रास्ते में शौचालयों के पास बैठते थे। लेकिन रवि चौहान (महासचिव, भारतीय दिव्यांग क्रिकेट परिषद) जैसे लोगों के अथक परिश्रम की बदौलत चीजें काफी बेहतर हुई हैं। उदाहरण के लिए इस दौरे को ईसीबी, आईसीसी और बीसीसीआई सपोर्ट कर रहा है। हमने वार्म-अप में इंग्लैंड लायंस मिश्रित विकलांगता टीम के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया है।
संते सिर्फ छह महीने के थे जब डॉक्टर के दो गलत इंजेक्शन की वजह से उनका दाहिना हाथ लकवाग्रस्त हो गया था। उन्होंने कहा, "मैंने केवी पेंढारकर कॉलेज की तरफ से लेदर-बॉल क्रिकेट खेलना शुरू किया। डोंबिवली में पले-बढ़े होने की वजह से हमारे पास आज के बच्चों जैसी सुविधाएं नहीं थीं। एक कॉलेज मैच के दौरान मैंने फिफ्टी ठोकी और विरोधी टीम के अंपायर बहुत प्रभावित हुए और यहीं से मेरा सफर शुरू हुआ।"
संते सिर्फ छह महीने के थे जब डॉक्टर के दो गलत इंजेक्शन की वजह से उनका दाहिना हाथ लकवाग्रस्त हो गया था। उन्होंने कहा, "मैंने केवी पेंढारकर कॉलेज की तरफ से लेदर-बॉल क्रिकेट खेलना शुरू किया। डोंबिवली में पले-बढ़े होने की वजह से हमारे पास आज के बच्चों जैसी सुविधाएं नहीं थीं। एक कॉलेज मैच के दौरान मैंने फिफ्टी ठोकी और विरोधी टीम के अंपायर बहुत प्रभावित हुए और यहीं से मेरा सफर शुरू हुआ।"
संते ने कहा, "उस समय मुझे यह भी नहीं पता था कि दिव्यांग क्रिकेट भी होता है। एक दिन एक स्थानीय पार्षद ने दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए एक प्रदर्शनी मैच आयोजित किया। यहीं मेरी मुलाकात रवि पाटिल सर से हुई। उसके बाद दो-तीन साल तक मैं विरार में उनके साईनाथ क्रिकेट क्लब में ट्रेनिंग के लिए रोजाना जाता था। जल्द ही मैं महाराष्ट्र और फिर भारत के लिए चुन लिया गया।"
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