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Monday, June 16, 2025

G7 में ट्रंप के साथ टकराव से बचने का हो रहा प्रयास, बैठक के बाद नहीं जारी होगा संयुक्त बयान

 G7 में ट्रंप के साथ टकराव से बचने का हो रहा प्रयास, बैठक के बाद नहीं जारी होगा संयुक्त बयान


कनाडा में जी7 देशों की बैठक में ईरान-इजरायल संघर्ष और अमेरिकी टैरिफ जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। कनाडा टकराव से बचने की कोशिश कर रहा है। प्रधानमंत्री मार्क कार्नी शांति सुरक्षा और नौकरी निर्माण को प्राथमिकता दे रहे हैं। जर्मनी के चांसलर ने कहा कि इजरायल-ईरान संघर्ष एजेंडे में ऊपर रहेगा। राजनयिकों का कहना है कि कनाडा संयुक्त बयान जारी नहीं करेगा बल्कि अध्यक्ष की ओर से समरी जारी करेगा।

G7 में ट्रंप के साथ टकराव से बचने का हो रहा प्रयास (फाइल फोटो)


 ईरान-इजरायल के बीच बढ़ते संघर्ष और टैरिफ को लेकर अमेरिका के साथ बढ़ते मतभेदों के बीच रविवार से कनाडा में दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्तियों G7 की बैठक हो रही है।


मेजबान कनाडा पूरी कोशिश कर रहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ किसी तरह का टकराव न हो। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी का कहना है कि उनकी प्राथमिकताएं शांति व सुरक्षा को मजबूत करना, महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण करना और नौकरियां पैदा करना है।


बैठक में कौन-कौन से मुद्दे होंगे शामिल?बैठक में अमेरिकी टैरिफ और मध्य पूर्व व यूक्रेन में संघर्ष जैसे मुद्दे प्रमुखता से शामिल होने की उम्मीद है। जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने कहा कि इजरायल-ईरान संघर्ष का मुद्दा जी-7 शिखर सम्मेलन के एजेंडे में बहुत ऊपर होगा।


पिछली बार जब कनाडा ने 2018 में मेजबानी की थी, तो अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप ने तत्कालीन कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को बेहद बेईमान व कमजोर बताते हुए अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल को अंतिम बयान को मंजूरी वापस लेने का निर्देश देकर शिखर सम्मेलन को पहले ही छोड़ दिया था।


'ट्रंप न करें कोई विस्फोट'ट्रूडो के विदेश नीति के सलाहकार रहे ओटावा विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर रोलैंड पेरिस ने कहा, यह बैठक सफल रहेगी अगर ट्रंप कोई 'विस्फोट' न करें जो पूरी बैठक को बाधित कर दे।

राजनयिकों ने बताया है कि कनाडा बैठक के बाद पारंपरिक संयुक्त बयान जारी नहीं करेगा, इसकी बजाय अमेरिका के साथ जुड़ाव बनाए रखने की उम्मीद में अध्यक्ष की ओर से समरी जारी करेगा।

एक कनाडाई अधिकारी ने कहा कि ओटावा उन कार्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहता है जो सातों सदस्य देशों - कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका - को एक साथ रखे।


ट्रंप से किस बारे में होगी बात?2018 के शिखर सम्मेलन में ट्रूडो के निजी प्रतिनिधि रहे कनाडाई सीनेटर पीटर बोहम ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बैठकों के लिए समय देने के लिए शिखर सम्मेलन सामान्य से अधिक समय तक चलेगा।

विभिन्न नेता राष्ट्रपति ट्रंप से बात करके उन्हें टैरिफ लगाने से रोकना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ''कई लोग राष्ट्रपति ट्रंप से अपने विशेष हितों और चिंताओं के बारे में बात करना चाहेंगे।''

उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप को बड़ी गोलमेज वार्ता उतनी पसंद नहीं है, जितनी उन्हें आमने-सामने की वार्ताएं पसंद हैं। गौरतलब है कि सदस्य देशों के अलावा बैठक में यूक्रेन, मैक्सिको, भारत, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया और ब्राजील के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है।


ट्रंप के कूटनीतिक प्रयास हुए ठपकनाडा लंबे समय से यूक्रेन के सबसे मुखर समर्थकों में से एक रहा है। ट्रंप रूस के साथ 24 घंटे के भीतर युद्ध समाप्त करने का वादा करके सत्ता में आए थे, लेकिन उनके कूटनीतिक प्रयास ठप हो गए हैं।

शिखर सम्मेलन की तैयारियों में शामिल एक यूक्रेनी अधिकारी ने कहा कि यूक्रेन के समर्थन में एक मजबूत बयान की उम्मीद फीकी पड़ गई है। कीव के लिए सफलता केवल ट्रंप और राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच एक सौहार्दपूर्ण बैठक होगी।

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