रामानंद सागर (Ramanand Sagar) की रामायण का जिक्र अक्सर लोगों के बीच चलता है। अरुण गोविल ने सीरियल में राम की भूमिका निभाई थी और इसके बाद लोग उन्हें भगवान भी समझने लगे थे। आमतौर पर सभी सीरियल्स की शूटिंग मुंबई में होती है। लेकिन रामानंद सागर ने रामायण के संसार को माया नगरी से काफी दूर एक जगह पर बसाया था।

भगवान श्रीराम की कहानी दिखाने वाली रामानंद सागर की रामायण को खूब पसंद किया गया। दूरदर्शन पर साल 1987 से 1988 के बीच इसका प्रसारण हुआ था। इस धारावाहिक को आज भी कोई भुला नहीं पाया है। कोरोना महामारी के दौरान इसे टीवी पर दोबारा दिखाया गया था, क्योंकि उस समय सीरियल्स के नए एपिसोड नहीं आ रहे थे। आज बात कर रहे हैं कि रामायण का संसार देश के किस हिस्से में बसाया गया था। इसका मतलब है कि इस पॉपुलर धार्मिक सीरियल की शूटिंग कहां हुई थी।
रामानंद सागर की रामायण में अरुण गोविल ने भगवान राम, दीपिका चिखलिया ने सीता, दारा सिंह ने हनुमान और सुनील लहरी ने लक्ष्मण के किरदार की भूमिका निभाई थी। आमतौर पर ज्यादातर सीरियल्स की शूटिंग मुंबई में होती है। रामायण के बारे में भी लोगों को लगता है कि इसकी दुनिया को भी माया नगरी मुंबई में ही बसाया गया होगा, लेकिन ऐसा नहीं है। रामायण की शूटिंग मुंबई से काफी दूर हुई है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
इस जगह बसाया गया था रामायण का संसारइंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक, रामायण की शूटिंग मुंबई में नहीं हुई थी। रामानंद सागर के धार्मिक सीरियल की शूटिंग गुजरात के उमरगांव में हुई थी। इस जगह की दूरी के बारे में बात करें, तो यह मुंबई से करीब 170 किलोमीटर दूर स्थित है। उमरगांव में प्राकृतिक वातावरण के बीच रामायण का भव्य सेट तैयार किया गया था।

मुंबई से ट्रेन लेकर सेट पर पहुंचते थे कलाकार
रामायण में काम करने वाले ज्यादातर कलाकार मुंबई में ही रहते थे, लेकिन सीरियल के सेट पर पहुंचने के लिए वह ट्रेन की मदद लेते थे। दरअसल, इसके अलावा उस समय गुजरात जाने के लिए कोई अन्य यातायात सुविधा नहीं थी। इस वजह से शो के कलाकार और तकनीकी टीम के सदस्य ट्रेन की मदद से सेट पर पहुंचते थे।
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आपके मन में भी सवाल आ रहा होगा कि आखिर रामानंद सागर ने उमरगांव को ही क्यों शूटिंग से लिए बेहतरीन माना था। दरअसल, वह एक ऐसी जगह की तलाश में थे, जहां प्राकृतिक सौंदर्य धार्मिक सीरियल के हिसाब का हो। मुंबई की भागदौड़ भरी दुनिया में शांत वातावरण बनाना इतना आसान नहीं है। ऐसा भी कहा जाता है कि उस समय बड़े सेट लगाने के लिए उमरगांव में जमीन भी कम कीमत पर मिल जाती थी।
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