लॉर्ड्स में भारत और इंग्लैंड के बीच खेले जा रहे तीसरे टेस्ट मैच के दूसरे दिन गेंद को लेकर काफी ड्रामा देखने को मिला कई बार गेंद को बदला गया जिसे देख भारतीय कप्तान शुभमन गिल तो अंपायर से बहस भी कर बैठे। इस मैच के दौरान एक बार फिर ड्यूक गेंद को लेकर विवाद गहरा गया है।

तेंदुलकर-एंडरसन सीरीज के दौरान ड्यूक्स गेंदों की गुणवत्ता चर्चा का विषय बन गई है। भारत ने दूसरे दिन पहले सत्र में कुछ ही देर में तीन विकेट लेकर मैच को अपने पक्ष में मोड़ दिया था लेकिन 91वें ओवर में अंपायर ने गेंद को गेज रिंग में डालकर चेक किया। गेंद उससे निकल नहीं रही थी यानी उसका आकार बदल गया था। इसके बाद चौथे अंपायर गेंद का बॉक्स लेकर और उस गेंद को बदल दिया गया।
94वें ओवर के बाद भारतीय कप्तान शुभमन गिल और अंपायर के बीच मैदान पर बहस होती दिखाई दी। गिल कह रहे थे कि गेंद सिर्फ 11 ओवर पुरानी थी लेकिन उसको बदलकर जो गेंद मिली वह ज्यादा पुरानी है। नियम यह है कि जब भी किसी गेंद को बदला जाता है तो उसकी जगह उतनी ही पुरानी गेंद दी जाती है।
अंपायरों ने की थी पहल
गेंद बदलने की पहल अंपायरों ने की थी, भारतीय टीम ने नहीं। बदली हुई गेंद ज्यादा नरम दिखाई दे रही है। 99वें ओवर में गिल ने गेंद को दोबारा बदलने की मांग की और लगभग आठ ओवर के बाद दूसरी गेंद बदली गई। 91 से 99वें ओवर के बीच भारत को कोई विकेट नहीं मिला। भारत ने पहली पारी में 80 ओवर बाद ही नई गेंद ली थी, लेकिन उसे दूसरे दिन 10.3 ओवर बाद ही बदलना पड़ गया। उसके 48 गेंद बाद फिर एक बार गेंद को बदलना पड़ गया। 80 ओवर के बाद जो नई गेंद मिली थी वह 1.869 डिग्री घूमी और औसतन 0.579 डिग्री सीम हुई।
वहीं उसके बाद मिली रिप्लेसमेंट गेंद औसतन 0.855 डिग्री घूमी और 0.594 डिग्री सीम हुई। आंकड़ों से ज्यादा शायद गेंद की कोमलता और उम्र ने भारत को परेशान किया।
ब्रॉड न की आलोचना
इंग्लैंड के पूर्व तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड वर्ष 2020 से ही इंग्लैंड में इस्तेमाल की जाने वाली ड्यूक्स गेंदों के आलोचक रहे हैं। उन्होंने कहा कि रिप्लेसमेंट गेंद 18-20 ओवर पुरानी लग रही थी। उन्होंने एक्स पर लिखा कि क्रिकेट की गेंद एक बेहतरीन विकेटकीपर जैसी होनी चाहिए। शायद ही इस पर किसी ने ध्यान दिया हो। हमें गेंद के बारे में बहुत ज्यादा बात करनी पड़ रही है क्योंकि यह एक बड़ी समस्या है और लगभग हर पारी में इसे बदला जा रहा है। अस्वीकार्य। ऐसा लगता है जैसे पांच साल हो गए हैं। ड्यूक्स गेंद में एक समस्या है। उन्हें इसे ठीक करने की जरूरत है। एक गेंद 80 ओवर तक चलनी चाहिए, 10 नहीं।
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन ने कहा कि पहली बात तो यह है कि ड्यूक्स गेंद के साथ एक गंभीर समस्या है। दोनों कप्तानों गिल और स्टोक्स ने मैच से पहले इस बारे में बात की थी। हमने इस मैच में यह देखा है, इसे दो बार बदला गया है। हमने पिछले कुछ सालों में ऐसा देखा है, सच में ड्यूक्स की गेंद का आकार बिगड़ गया है। यहां दूसरी बात यह है कि मुझे लगता है कि गेंद बहुत बार बदली जाती है। मुझे लगता है कि हम क्रिकेट गेंदों को लेकर थोड़े ज्यादा संवेदनशील हो रहे हैं। पहले भी क्रिकेट गेंद पुरानी और नरम हो जाती थीं। तीसरी बात यह है कि भारतीय पहले घंटा जीत गए थे। बुमराह को खेलना नामुमकिन था। ऐसी गेंद को उन्होंने क्यों बदलना चाहा। मुझे लगा कि जब आपके पास कुछ है, तो ऐसा करना वाकई अजीब बात है।
2020 से है चर्चा
ड्यूक्स गेंद 2020 से ही चर्चा का विषय रही है क्योंकि यह बहुत जल्दी खराब और नरम हो जाती हैं। काउंटी चैंपियनशिप के चार राउंड के मैचों में कूकाबुरा गेंदों को शामिल करने के ईसीबी के फैसले ने भी ड्यूक्स गेंद को चर्चा में ला दिया है। इस सीरीज में क्षेत्ररक्षण कप्तान की ओर से नियमित शिकायतें सामने आईं हैं। टेस्ट के पहले सत्र से ही 43वें ओवर के आसपास नियमित रूप से गेंद बदली जाती रही है।
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