लंदन के सेंट जांस वुड में 1814 में स्थापित लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड केवल एक स्टेडियम नहीं बल्कि यह मैदान खेल के अनगिनत ऐतिहासिक पलों का गवाह रहा है जिनमें न केवल महान पारियां दर्ज हुईं बल्कि खेल की आत्मा भी आकार लेती रही। इसी लॉर्ड्स मैदान के भीतर स्थित मेरीलेबोन क्रिकेट क्लब (MCC) म्यूजियम इस गौरवशाली इतिहास का जीवंत प्रतीक है।

लंदन के सेंट जांस वुड में 1814 में स्थापित लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड केवल एक स्टेडियम नहीं बल्कि यह मैदान खेल के अनगिनत ऐतिहासिक पलों का गवाह रहा है, जिनमें न केवल महान पारियां दर्ज हुईं बल्कि खेल की आत्मा भी आकार लेती रही। इसी लॉर्ड्स मैदान के भीतर स्थित मेरीलेबोन क्रिकेट क्लब (MCC) म्यूजियम इस गौरवशाली इतिहास का जीवंत प्रतीक है।
1953 में ड्यूक ऑफ एडनबरा द्वारा स्थापित किया गया यह संग्रहालय दुनिया का सबसे पुराना व इकलौता क्रिकेट म्यूजियम हैं, जहां हाल ही में महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की तस्वीर लगाई गई है। 2002 में नेटवेस्ट सीरीज फाइनल में जीतने के बाद तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली का लॉर्ड्स की बालकनी में शर्ट उतारकर लहराना भारतीय क्रिकेट इतिहास का अमिट पल बन गया था।
वही गांगुली की शर्ट इस म्यूजियम में प्रशंसकों को आज भी उस पल की याद दिलाती है। क्रिकेट प्रेमियों को यहां जहांगीर खान की 'स्पैरो बाल', 1983 में भारत द्वारा जीती गई विश्व कप ट्रॉफी (प्रूडेंशियल कप), डब्ल्यू जी ग्रेस का ऐतिहासिक बल्ला और कपिल देव की 1983 विश्व कप विजय और आईपीएल की आधुनिक चमक तक की झलक मिलती है।
सबसे अद्भुत वस्तु है एशेज की मूल कलश, जिसे 1883 में इंग्लिश कप्तान आइवो ब्लाइ ने एक मजाकिया उपहार के रूप में भेंट किया गया था। इसके अलावा महेंद्र सिंह धोनी के 2011 के फाइनल में पहने गए विकेटकीपिंग दस्ताने, विराट कोहली के जूते और 1946 में भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट मैच में इस्तेमाल की गई गेंद के अलावा कई ऐसी वस्तुएं हैं, जो क्रिकेट का इतिहास समेटे हुए हैं।
एमसीसी के हेड ऑफ हेरिटेज नील राबिंसन ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि यह क्रिकेट को समर्पित दुनिया का दूसरा सबसे पुराना संग्रहालय है। सबसे पुराना खेल संग्रहालय न्यूयार्क स्थित बेसबाल हॉल आफ फेम म्यूजियम है। यहां पर बल्ले व गेंदों का बहुत बड़ा संग्रह है। बल्लों के विकास को दर्शाने वाली प्रदर्शनी में ब्रैडमैन, रणजीत सिंहजी और ग्रेस जैसे दिग्गजों के बल्ले शामिल हैं।
पुराने जमाने के हॉकी जैसे बल्लों से लेकर आधुनिक मंगूज बैट तक की यात्रा यहां देखी जा सकती है। इसके अलावा 1936 में मैच के दौरान जहांगीर खान की जिस गेंद से टकराकर गौरेया (स्पैरो) मर गई थी, वह गेंद आप यहां देख सकते हैं। 1957 में विजडन की पुस्तक की प्रतिलिपि भी यहां आप देख सकते हैं।
राबिंसन ने कहा कि यहां के संग्रह में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। भारत और इंग्लैंड के बीच लॉर्ड्स टेस्ट के पहले दिन ही यहां सचिन तेंदुलकर का पोट्रेट लगाया गया, जो हमारे लिए गर्व की बात है। इसके साथ ही इसी टेस्ट मैच में पांच विकेट लेने वाले बुमराह के जूते भी जल्द यहां प्रदर्शित किए जाएंगे। अभी उन्होंने हमें यह दिए हैं। वहीं विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के दौरान शानदार प्रदर्शन करने वाले कैगिसो रबादा का भी बायें पैर का जूता यहां रखा गया है।
राबिंसन ने हंसते हुए कहा, उनके दायें पैर का जूता कहां है, ये अब तक नहीं पता चल पाया है। राबिंसन ने कहा कि भारत और इस म्यूजियम का लंबा जुड़ाव रहा है। यहां रखी वस्तुएं खिलाड़ी अपनी इच्छा से हमें उपहार के रूप में देते हैं। एमसीसी म्यूजियम सिर्फ वस्तुओं का संग्रह नहीं, बल्कि क्रिकेट की आत्मा से जुड़ने का अनुभव है, हर दर्शक के लिए एक यात्रा, जो खेल के इतिहास को जीवंत कर देती है। जब उनसे पूछा गया कि बुमराह ने पांच विकेट लेने वाली गेंद की जगह जूते क्यों दिए तो उन्होंने कहा कि अधिकतर गेंदबाज उस गेंद को खुद अपने साथ रखना चाहते हैं।
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