इन योजनाओं से बनाई थी अपनी अलग पहचान, 100 नए उत्कृष्ट विद्यालय बनाने का सपना रह गया अधूरा
झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का निधन हो गया है जिससे पूरे राज्य में शोक की लहर है। उनके निधन को शिक्षा जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति बताया जा रहा है। रामदास सोरेन ने शिक्षा और शिक्षक हित में कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने 100 नए उत्कृष्ट विद्यालय खोलने की योजना बनाई थी। शिक्षकों की भर्ती के लिए भी प्रयासरत थे। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।

एक ओर जहां पूरा राज्य दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर शोक मना रहा है तो दूसरी ओर शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन ने दोहरी मार दी है। उनके निधन पर शिक्षा जगत के साथ साथ पूरे राज्य में शोक की लहर है।
विभिन्न समुदाय के लोगों ने दुख व्यक्त करते हुए इसे अपूरणीय क्षति बताया है। बता दें कि रामदास सोरेन सरल सहज सौम्य विचार के धनी थे, अल्प समय में ही शिक्षकों के प्रति हमेशा अभिभावक भाव रखने के साथ-साथ शिक्षा व शिक्षक हित में तत्पर रहे।
जिसका परिणाम यह रहा है कि अपने कार्यकाल में उन्होंने कई ऐसी घोषणाएं की जो क्रियान्वित तो हुई लेकिन कई धरातल पर उतर नहीं सकी है। गत दिनों उन्होंने 100 नए उत्कृष्ट विद्यालयों की स्थापना की परिकल्पना की थी, जिसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि अब ग्रामीण स्तर पर भी सरकारी विद्यालयों की शैक्षणिक व्यवस्था बेहतर हो पाएगी लेकिन उनका यह सपना उनके रहते पूरा नहीं हो पाया।
इस संबंध में अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता नसीम अहमद ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में वह बड़ा परिवर्तन करने जा रहे थे। 100 उत्कृष्ट विद्यालयों की स्थापना के अलावे शिक्षकों की बहाली के लिए भी प्रयासरत थे। उन्होंने कहा कि कई बार तो शिक्षा मंत्री ने सहज रूप से विभागीय कमजोरी को भी स्वीकार कर बेहतर करने की मंशा जाहिर की थी।
कहा कि रामदास सोरेन एक संघर्षशील नेता थे। मामूली कार्यकर्ता से लेकर विधायक और कैबिनेट मंत्री तक का सफर आदिवासी समाज की उम्मीदों को साथ लेकर तय किया। उनकी कहानी आदिवासी नेतृत्व, संगठनात्मक क्षमता और झारखंड आंदोलन में सक्रिय भूमिका की मिसाल है।
इन योजनाओं ने बनाई पहचान
स्कूल रूआर बैक टू स्कूल कैंपेन- स्कूल रूआर 2025 अभियान (बैक टू स्कूल कैंपेन) ने राजधानी रांची समेत पूरे राज्य में पठन पाठन को नई दिशा दी। इस अभियान की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अप्रैल 2025 तक कुल 1 लाख 38 हजार 945 बच्चों का नामांकन कराया गया।
उन्होंने समीक्षा बैठक की स्वयं मॉनिटरिंग की और निर्देश दिया था कि हर हाल में ड्रापआउट बच्चों का नामांकन प्रतिशत बढ़ाया जाए। इस अभियान के तहत अप्रैल से मई 2025 में 5-18 वर्ष के सभी बच्चों का शत प्रतिशत नामांकन, उपस्थिति और कक्षा परिवर्तन सुनिश्चित करने पर जोर दिया था।
शिक्षकों की नियुक्ति और तबादले की पालिसी में किया सुधार- मार्च 2025 तक लगभग 7,930 सरकारी स्कूल एक शिक्षक माडल पर चल रहे थे, जिसमें कुल 3.81 लाख छात्र छात्राएं हैं। इसमें सुधार लाने के लिए सरकार 26 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की योजना बनाई।
साथ ही 10 हजार आदिवासी भाषाओं के शिक्षकों की बहाली भी तय की ताकि स्थानीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा मिल सके।
सरकारी विद्यालयों के निरीक्षण और गुणवत्ता नियंत्रण पर रहे फोकस- जून 2025 में मंत्री रामदास सोरेन ने निर्देश दिया था कि जिला शिक्षा पदाधिकारी व जिला शिक्षा अधीक्षक प्रत्येक प्रखंड में महीने में कम से कम एक स्कूल का निरीक्षण करें।
इसके लिए कक्षाएं लेना, शिक्षा की गुणवत्ता की समीक्षा करना, जियो-टैगिंग सहित रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य किया। साथ ही यूनिफार्म, पुस्तकें, स्टेशनरी वितरण की व्यवस्था में सुधार के पक्षधर रहे।
सरकारी विद्यालयों की बुनियादी ढांचा में किया सुधार- राज्य के विभिन्न सरकारी विद्यालयों में बेंच‑डेस्क का वितरण कराया ताकि बच्चे जमीन पर बैठकर न पढ़ें और शिक्षा संरचना मजबूत हो। इसके अलावा पूरे राज्य में 80 और सीएम स्कूल आफ एक्सीलेंस खोलने की घोषणा की।
निजी स्कूलों की तर्ज पर नो बैग डे का किया प्रयोग- राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में निजी स्कूलों की तर्ज पर नो बैग डे लाने का प्रस्ताव दिया।
आदिवासी भाषा और निजी स्कूलों पर नियंत्रण- जनजातीय भाषाओं जैसे संथाली हो, कुड़ुख, मुंडारी आदि को कक्षा छठी से दसवीं तक पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए प्रस्ताव, निजी स्कूलों की मनमानी (री‑एडमिशन फीस आदि) पर कानूनी अंकुश लगाने और शिकायत पर कार्रवाई की। जिसका परिणाम यह रहा कि वर्ष 2025 में राइट टू एजुकेशन के तहत निजी स्कूलों में रिकार्ड एडमिशन हुआ।
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