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Thursday, August 7, 2025

मरीजों के मेडिकल रिकॉर्ड्स के पेपर पर बिक रहा था खाने का सामान, थाईलैंड के अस्पताल पर उठे सवाल तो मिला ये जवाब

 मरीजों के मेडिकल रिकॉर्ड्स के पेपर पर बिक रहा था खाने का सामान, थाईलैंड के अस्पताल पर उठे सवाल तो मिला ये जवाब


थाईलैंड के उबोन रत्चाथानी में एक अस्पताल की लापरवाही सामने आई है। अस्पताल के 1000 से ज्यादा गोपनीय मरीजों के रिकॉर्ड्स को स्ट्रीट फूड के रैपर के तौर पर इस्तेमाल किया गया। थाईलैंड की पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन कमेटी ने अस्पताल पर भारी जुर्माना लगाया है। सोशल मीडिया पर इन्फ्लूएंसर द्वारा खुलासा करने के बाद यह मामला सुर्खियों में आया।


ये संवेदनशील दस्तावेज, जिनमें मरीजों की निजी जानकारी और बीमारियों का ब्योरा था।


 थाईलैंड के उबोन रत्चाथानी प्रांत में एक चौंकाने वाला वाकिया सामने आया है। एक निजी अस्पताल के 1,000 से ज्यादा गोपनीय मरीजों के रिकॉर्ड्स को गलत तरीके से ठिकाने लगाया गया।

ये संवेदनशील दस्तावेज, जिनमें मरीजों की निजी जानकारी और बीमारियों का ब्योरा था, स्ट्रीट फूड के रैपर के तौर पर इस्तेमाल हो रहे थे। इस लापरवाही ने पूरे देश में हंगामा मचा दिया है।

थाईलैंड की पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन कमेटी ने इस मामले में सख्त कदम उठाते हुए अस्पताल पर लगभग 37,000 अमेरिकी डॉलर का जुर्माना ठोका है।



कमेटी ने डेटा गोपनीयता के नियमों को सख्ती से लागू करने की जरूरत पर भी जोर दिया। इस घटना ने निजी जानकारी की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सोशल मीडिया पर मचा बवाल

यह मामला तब सुर्खियों में आया जब एक सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर 'डॉक्टर लैब पांडा' ने खुलासा किया कि स्थानीय खानम टोक्यो (क्रिस्पी क्रेप) के रैपर के तौर पर मेडिकल रिकॉर्ड्स का इस्तेमाल हो रहा था।




इन दस्तावेजों में मरीजों के नाम, निजी पहचान और बीमारी की जानकारी साफ दिख रही थी। एक दस्तावेज में तो यह भी जाहिर हुआ कि रैपर में लिपटा कागज एक हेपेटाइटिस बी से पीड़ित मरीज का था।

इन्फ्लूएंसर ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (SCMP) के हवाले से कहा, "क्या मैं इसे खाना जारी रखूं या ये काफी है?" इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया। लोगों ने अस्पताल की इस लापरवाही की कड़े शब्दों में निंदा की और मरीजों की गोपनीयता के उल्लंघन पर गुस्सा जाहिर किया।



अस्पताल की लापरवाही

बैंकॉक पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल ने सफाई दी कि उसने दस्तावेजों को नष्ट करने का जिम्मा एक छोटे कारोबारी को सौंपा था, लेकिन उसकी निगरानी में चूक हो गई। कारोबारी ने अपनी गलती कबूल की और बताया कि ये दस्तावेज उनके घर में रखे थे, जहां से ये लीक हो गए।


इस मामले ने अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं। लोगों का कहना है कि ऐसी संवेदनशील जानकारी को नष्ट करने से पहले उसकी ठीक तरह से जांच होनी चाहिए थी। अस्पताल की इस गैर-जिम्मेदाराना हरकत ने मरीजों के भरोसे को तोड़ा है।


सोशल मीडिया पर लोगों ने अस्पताल के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। एक यूजर ने कहा, "मरीजों के निजी हक को और अहमियत दी जानी चाहिए। अस्पताल पर मुकदमा होना चाहिए और उसका लाइसेंस रद्द करना चाहिए।"

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