Kishore Kumar ने जब एक तीर से चलाए थे दो निशाने, रफी साहब की इज्जत रखने के साथ ही संवारा था इस करीबी का करियर
Throwback Thursday किशोर कुमार और मोहम्मद रफी म्यूजिक की दुनिया की दो बड़ी हस्तियां तो थी ही लेकिन इसी के साथ उनकी दोस्ती के किस्से भी बहुत मशहूर थे। एक बार दोस्ती में जब रफी साहब ने सिंगर से मदद मांगी तो किशोर कुमार ने उन्हें ऐसा जुगाड़ करके दिया जिससे उनकी रिस्पेक्ट भी बनी रही और किसी के करियर को उड़ान भी मिल गई।
किशोर कुमार ने मोहम्मद रफी की मदद के लिए किया था जुगाड़/ फोटो- X Account
HIGHLIGHTSरफी साहब ने तीन शब्द गाने के लिए मांगी थी किशोर कुमार की मदद
किशोर कुमार ने गाने की तीन लाइनों से संवारा था इसका करियर
मोहम्मद रफी और किशोर कुमार का है ये अनसुना किस्सा
किशोर कुमार हिंदी जगत के जितने बड़े सिंगर थे, उतने ही शानदार वह असल जिंदगी में दोस्त भी थे। जिसे वह अपना मान लेते थे उसके लिए कुछ भी कर जाते थे। म्यूजिक की दुनिया में उनके सबसे करीबी दोस्तों में से एक थे सिंगर मोहम्मद रफी। दोनों अपने जमाने के मशहूर सिंगर थे, लेकिन उनके बीच जरा भी एक-दूसरे के लिए जलन की भावना नहीं थी।
जब किशोर कुमार को ऐसा लगता कि वह कोई गाना नहीं गा पाएंगे, तो वह मेकर्स को सबसे पहले मोहम्मद रफी का नाम सजेस्ट करते थे। वहीं मोहम्मद रफी को भी जब कभी मदद की जरूरत होती थी, तो वह बिना सोचे समझे किशोर दा को फोन मिला दिया करते थे।
ऐसा ही एक बार रफी साहब ने किया, जब गाने एक लाइन गलत हुई और उन्होंने किशोर दा से उन्हें गाने के लिए कहा। किशोर कुमार ने खुद को वह गाना नहीं गाया, लेकिन कुछ ऐसा किया, जिससे रफी साहब की रिस्पेक्ट भी बनी रही और किसी के करियर को पंख भी मिल गए। क्या है ये मशहूर किस्सा पढ़ें थ्रो-बैक थर्सडे में:
इस गीत को गाते हुए मोहम्मद रफी से हुई थी गलती
मोहम्मद रफी और किशोर कुमार से जुड़ा ये किस्सा 48 साल पहले सिनेमाघरों में रिलीज हुई फिल्म 'अमर-अकबर एंथोनी' से जुड़ा हुआ है, जिसमें अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर और विनोद खन्ना ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म का निर्देशन मनमोहन देसाई ने किया था। इस फिल्म के सबसे लोकप्रिय गानों में से एक 'परदानशीं को बेपरदा ना कर दूं तो अकबर मेरा नाम नहीं है' था। इस गाने को मोहम्मद रफी ने गाया था, लेकिन उनसे ये गाना गाते वक्त बड़ी गलती हो गई थी।
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Photo Credit- X Account
दरअसल, इस गाने में एक लाइन अमिताभ बच्चन पर फिल्माई गई है, जिसमें उन्हें अकबर यानी कि ऋषि कपूर को संबोधित करते हुए ये कहना था कि 'अकबर तेरा नाम नहीं है', लेकिन इसकी जगह रफी साहब ने उसे 'अकबर मेरा नाम नहीं है' गा दिया था। इस गलती को मनमोहन देसाई के एक असिस्टेंट ने एडिट के दौरान नोटिस किया। जिसके बाद असिस्टेंट ने उनसे ये एक लाइन किशोर कुमार से गंवाने के लिए कहा ताकि गाने में वेरिएशन आ जाए। हालांकि, किशोर कुमार थोड़े मूड़ी स्वाभाव के थे, ऐसे में मनमोहन देसाई उन्हें फोन करने से कतरा रहे थे।
रफी साहब ने मांगी थी किशोर कुमार से मदद
मनमोहन देसाई ने सीधा रफी साहब को फोन मिलाया और उन्हें बताया कि ये लाइन उन्हें दोबारा शूट करनी होगी, लेकिन उस वक्त सिंगर लंदन में थे। निर्देशक ने जब मोहम्मद रफी को किशोर कुमार के नाम का सजेशन दिया, तो तुरंत ही सिंगर ने उन्हें फोन मिला दिया। रफी साहब ने किशोर कुमार को सिचुएशन समझाई और मदद मांगी। किशोर दा ने भी उनसे ये वादा किया कि वह अगले दिन ही गाने की वह लाइन रिकॉर्ड कर देंगे।
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किशोर कुमार ने इसे भेजकर रखी थी रफी साहब की इज्जत
किशोर कुमार उस समय पर खुद हिंदी सिनेमा के लीडिंग सिंगर थे, ऐसे में वह खुद इस गाने को गाने नहीं गए। हालांकि, उन्होंने मोहम्मद रफी साहब की बात भी नहीं काटी। उन्होंने अमर-अकबर एंथोनी की इस लाइन को गाने के लिए किसी और को नहीं, बल्कि अपने बेटे अमित कुमार को भेजा।
उन्होंने ये एक लाइन रिकॉर्ड की। 1977 में आई बिग बी की फिल्म का ये गाना सुपरहिट हुआ। भले ही इस गाने से किशोर कुमार के बेटे को पहचान नहीं मिली, लेकिन इंडस्ट्री में कहीं न कहीं वह भी नोटिस में आए और सिंगर के ऐसा करने से रफी साहब की भी रिस्पेक्ट बनी रही।
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