Jharkhand में कोर्ट के निर्देश के बाद भी नहीं हुआ निकाय चुनाव, हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को भेजा अवमानना नोटिस - KRANTIKARI SAMVAD

Breaking

Post Top Ad

Thursday, September 11, 2025

Jharkhand में कोर्ट के निर्देश के बाद भी नहीं हुआ निकाय चुनाव, हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को भेजा अवमानना नोटिस

 Jharkhand में कोर्ट के निर्देश के बाद भी नहीं हुआ निकाय चुनाव, हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को भेजा अवमानना नोटिस


झारखंड में लंबित निकाय चुनाव को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। यह मामला उस अवमानना याचिका से जुड़ा है। इसमें आरोप लगाया गया है कि सरकार ने अदालत के आदेश के बावजूद समय पर चुनाव नहीं कराया। अदालत ने कहा कि आदेश का पालन न करना न्यायालय की अवमानना है। सरकार की ओर से दलील दी गई कि फिर से ‘ट्रिपल टेस्ट’ कराकर चुनाव कराया जाए।



सरकार की ओर से दलील दी गई कि फिर से ट्रिपल टेस्ट’कराकर निकाय चुनाव कराया जाए।



झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने आदेश के बाद भी शहरी निकायों का चुनाव नहीं कराए जाने को लेकर बुधवार को कड़ा रूख अपनाया है।

अदालत ने मामले में मुख्य सचिव अलका तिवारी, तत्कालीन नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे, गृह सचिव वंदना दादेल, नगर विकास विभाग के अपर सचिव ज्ञानेश कुमार को अवमानना का नोटिस जारी किया है।

हाई कोर्ट रूल 393 के तहत इन अधिकारियों पर आरोप गठित किया जाएगा। मामले में अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी। अदालत ने उस दिन चारों अधिकारियों को कोर्ट में उपस्थित होने को कहा गया है।


हाई कोर्ट ने बिना ट्रिपल टेस्ट के ही चुनाव कराने का दिया था आदेश

कोर्ट के आदेश का पालन नहीं होने पर पूर्व पार्षद रोशनी खलखो ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की है, क्योंकि सरकार बार-बार ट्रिपल टेस्ट से संबंधित प्रक्रिया पूरी न होने का हवाला देकर निकाय चुनाव नहीं करा रही थी।


हालांकि अदालत ने चार जनवरी 2024 को राज्य सरकार को बिना ट्रिपल टेस्ट के ही शहरी निकाय चुनाव कराने का स्पष्ट आदेश दिया था। कोर्ट ने टिप्पणी की सरकार कानून के साथ खिलवाड़ कर रही है।


अधिकारियों ने ट्रिपल टेस्ट मुद्दे पर कोर्ट को गुमराह भी किया

कोर्ट ने दस्तावेज देखने के बाद पाया कि सरकार और उसके अधिकारियों ने कोर्ट के आदेश को जानबूझ कर मंत्री या कैबिनेट के समक्ष नहीं रखा। अधिकारियों ने न सिर्फ कोर्ट के आदेश की अनदेखी की, बल्कि कोर्ट को कई बार यह भरोसा भी दिया कि निकाय चुनाव जल्द होंगे, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।


कोर्ट ने राज्य सरकार की फाइलों की जांच में पाया कि अधिकारियों ने हाई कोर्ट के आदेशों की जानकारी मुख्यमंत्री या संबंधित मंत्री तक नहीं पहुंचाई, जिससे सरकार कोर्ट के आदेशों पर अमल नहीं कर पाई।


इस दौरान सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि इसके मुताबिक ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही आरक्षण दिया जा सकता है।
सरकार सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को गलत तरीके से ढाल बना रही

लेकिन हाई कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया कि ट्रिपल टेस्ट के बिना चुनाव कराना गैरकानूनी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को गलत तरीके से ढाल बना रही है। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि कोर्ट के आदेश को जानबूझकर दबाया गया।


इससे यह प्रतीत होता है कि कोर्ट के आदेश को निष्क्रिय करने की साजिश थी। यह स्पष्ट रूप से अदालत की अवमानना है। कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों के जानबूझकर कोर्ट की अवहेलना साबित होती है।

ऐसे में उन पर अवमानना की कार्रवाई बनती है। कोर्ट ने कहा कि मुख्य सचिव ने 13 जनवरी 2025 को आश्वासन दिया था कि चार माह के भीतर नगर निकाय चुनाव करा लिए जाएंगे, लेकिन अभी तक चुनाव नहीं हुए।


इसके बाद 18 जुलाई और दो सितंबर को भी सुनवाई हुई, मगर सरकार केवल समय मांगती रही और चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी।

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages