नई दिल्ली। राज्यसभा चुनाव में नोटा के उपयोग पर रोक लगाने की आंस से सुप्रीम कोर्ट पहुंची कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट में इस पर तत्काल रोक से इनकार कर दिया है। गुरुवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से ही पूछा है कि ‘जब चुनाव आयोग ने जनवरी 2014 में ही इस बा
बत नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके बाद कई राज्यसभा चुनाव हुए, तब आप कहां थे और अब जबकि यह आपके फेवर में नहीं जा रहा तो इसे चुनौती दे रहे हैं।’ कोर्ट ने इस संबंध में चुनाव आयोग को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और मामले की सुनवाई 13 सितंबर के लिए टाल दी है।
दरअसल, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पेश से वकील कपिल सिब्बत ने राज्यसभा चुनाव में नोटा के इस्तेमाल पर खिलाफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अमिताभ रॉय और जस्टिस एएम खानविलकर की सदस्यता वाली पीठ के समक्ष याचिका दायर कर फौरन सुनवाई का अनुरोध किया। सिब्बल का तर्क था कि इन चुनावों में इस्तेमाल होने वाले बैलेट पेपर नोटा के लिए कोई सांविधानिक प्रावधान नहीं है।
इस पर सिब्बल ने अपनी जिरह में कहा कि अगर नोटा पर स्टे नहीं लगाया गया तो इससे भ्रस्टाचार और बढ़ेगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह राज्यसभा चुनाव में ‘नोटा’ के प्रावधान की संवैधानिकता के सवाल पर सुनवाई के लिए तैयार है, लेकिन सवाल ये है कि बस गुजरात के राज्यसभा चुनाव के लिए ही यह याचिका क्यों?
गौरतलब है कि गुजरात में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए होने वाले चुनाव में बीजेपी ने अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और बलवंतसिंह राजपूत को उतारा, वहीं कांग्रेस की तरफ से सोनिया गांधी के लिए राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल चुनाव मैदान हैं। हालांकि यहां कांग्रेस के 6 विधायकों के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को फूट की आशंका है और ऐसे में वह आगे किसी भी तरह के नुकसान से बचने की कोशिश कर रही है और इसी के तहत उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
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