भारतीयों पर कैसे असर डालेगा ट्रंप का गोल्ड कार्ड प्लान, कैसे मिलेगी नागरिकता; कितना करना पड़ेगा खर्च?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गोल्ड कार्ड योजना का एलान किया है। जल्द ही यह योजना धरातल पर उतर जाएगी। मौजूद ईबी-5 वीजा कार्यक्रम की जगह इसे लॉन्च किया जाएगा। कोई भी शख्स 50 लाख डॉलर का भुगतान करके अमेरिका की नागरिकता ले सकेगा। इस योजना के माध्यम से डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका में निवेश और रोजगार को बढ़ाना चाहते हैं।

HIGHLIGHTSमोटी रकम खर्च करके ही मिलेगी अमेरिकी नागरिकता।
डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को किया गोल्ड कार्ड का एलान।
यह 35 वर्ष पुराने ईबी-5 वीजा कार्यक्रम की जगह लेगा।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अवैध तरीके से घुस आए अप्रवासियों को वापस उनके देश भेज रहे हैं और इसके लिए उन्होंने मुहिम चला रखी है। दूसरी तरफ ट्रंप अमीरों के लिए एक ऑफर लेकर आए हैं जिसके तहत वे मोटी रकम खर्च करके अमेरिका की नागरिकता हासिल करने के लिए पात्र हो सकते हैं। आइये जानते हैं कि क्या है ऑफर और इससे भारतीयों पर क्या असर होगा?
निवेश और नौकरी बढ़ाने पर जोर
ट्रंप ने बुधवार को गोल्ड कार्ड प्लान का एलान किया। उन्होंने कहा कि 50 लाख डॉलर की फीस देकर अप्रवासी अमेरिका में रहने का परमिट हासिल कर सकते हैं। यह प्लान मौजूदा 35 वर्ष पुराने ईबी-5 वीजा कार्यक्रम की जगह लेगा। ईबी वीजा कार्यक्रम के तहत कोई भी व्यक्ति अमेरिका में 10 लाख डॉलर का निवेश करके वहां रहने का परमिट हासिल कर सकता है।
ईबी-5 से कितना अलग है गोल्ड कार्डदोनों तरह के वीजा में बहुत बड़ा अंतर है। मौजूदा ईबी-5 कार्यक्रम के तहत, विदेशी निवेशकों को अमेरिका की कंपनियों में 8 से 10 लाख डॉलर के बीच निवेश करना पड़ता है और कम से कम 10 नई नौकरियों का सृजन करना पड़ता है। इसके अलावा ग्रीन कार्ड के लिए 5-7 वर्ष तक इंतजार भी करना पड़ता है।

विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए 1990 में शुरू किए गए इस कार्यक्रम पर पिछले कई वर्षों से दुरुपयोग और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं। अब गोल्ड कार्ड वीजा प्लान की फीस पांच गुना बढ़ाकर 50 लाख डॉलर तय की गई है। बड़ी लागत की वजह से मध्य वर्ग के निवेशकों के लिए इस प्लान का फायदा उठा पाना मुश्किल होगा।
भारतीयों पर क्या असर होगा
50 लाख डॉलर लागत का मतलब है कि सिर्फ भारत के बेहद अमीर और बड़े कारोबारी ही अमेरिका में बसने के लिए इस आसान रास्ते का खर्च उठा सकते हैं। इससे उन कुशल पेशेवरों की परेशानी बढ़ सकती है जो पहले से ही ग्रीन कार्ड के लिए लंबे इंतजार के दौर से गुजर रहे हैं। कुछ मामलों में तो यह इंतजार दशकों तक का है।

नकद करना होगा भुगतानईबी-5 के तहत आवेदन करने वाले लोन ले सकते हैं या पैसा जुटा सकते हैं, जबकि गोल्ड कार्ड के लिए पूरा भुगतान नकद करना होगा। इससे यह भारतीयों के एक बड़े हिस्से की पहुंच से बाहर हो जाता है। भारतीयों के लिए एच-1बी वर्क वीजा सबसे पसंदीदा रास्ता बना हुआ है। एच-1बी वीजा वाले भारतीय भी गोल्ड कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं, बशर्ते वे 50 लाख डॉलर का भुगतान करने की क्षमता रखते हों।
निवेश और नौकरी बढ़ाने पर जोर
ट्रंप ने बुधवार को गोल्ड कार्ड प्लान का एलान किया। उन्होंने कहा कि 50 लाख डॉलर की फीस देकर अप्रवासी अमेरिका में रहने का परमिट हासिल कर सकते हैं। यह प्लान मौजूदा 35 वर्ष पुराने ईबी-5 वीजा कार्यक्रम की जगह लेगा। ईबी वीजा कार्यक्रम के तहत कोई भी व्यक्ति अमेरिका में 10 लाख डॉलर का निवेश करके वहां रहने का परमिट हासिल कर सकता है।
ईबी-5 से कितना अलग है गोल्ड कार्डदोनों तरह के वीजा में बहुत बड़ा अंतर है। मौजूदा ईबी-5 कार्यक्रम के तहत, विदेशी निवेशकों को अमेरिका की कंपनियों में 8 से 10 लाख डॉलर के बीच निवेश करना पड़ता है और कम से कम 10 नई नौकरियों का सृजन करना पड़ता है। इसके अलावा ग्रीन कार्ड के लिए 5-7 वर्ष तक इंतजार भी करना पड़ता है।

विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए 1990 में शुरू किए गए इस कार्यक्रम पर पिछले कई वर्षों से दुरुपयोग और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं। अब गोल्ड कार्ड वीजा प्लान की फीस पांच गुना बढ़ाकर 50 लाख डॉलर तय की गई है। बड़ी लागत की वजह से मध्य वर्ग के निवेशकों के लिए इस प्लान का फायदा उठा पाना मुश्किल होगा।
भारतीयों पर क्या असर होगा
50 लाख डॉलर लागत का मतलब है कि सिर्फ भारत के बेहद अमीर और बड़े कारोबारी ही अमेरिका में बसने के लिए इस आसान रास्ते का खर्च उठा सकते हैं। इससे उन कुशल पेशेवरों की परेशानी बढ़ सकती है जो पहले से ही ग्रीन कार्ड के लिए लंबे इंतजार के दौर से गुजर रहे हैं। कुछ मामलों में तो यह इंतजार दशकों तक का है।

नकद करना होगा भुगतानईबी-5 के तहत आवेदन करने वाले लोन ले सकते हैं या पैसा जुटा सकते हैं, जबकि गोल्ड कार्ड के लिए पूरा भुगतान नकद करना होगा। इससे यह भारतीयों के एक बड़े हिस्से की पहुंच से बाहर हो जाता है। भारतीयों के लिए एच-1बी वर्क वीजा सबसे पसंदीदा रास्ता बना हुआ है। एच-1बी वीजा वाले भारतीय भी गोल्ड कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं, बशर्ते वे 50 लाख डॉलर का भुगतान करने की क्षमता रखते हों।
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