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Thursday, March 27, 2025

मानवाधिकार पर बनी लघु फिल्म दूध गंगा-वेलीज डाइंग लाइफलाइन को पहला पुरस्कार, जानें दूसरे और तीसरे स्थान पर कौन रहा

मानवाधिकार पर बनी लघु फिल्म दूध गंगा-वेलीज डाइंग लाइफलाइन को पहला पुरस्कार, जानें दूसरे और तीसरे स्थान पर कौन रहा

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बुधवार को 2024 में मानवाधिकारों पर लघु फिल्मों की प्रतियोगिता में सात सर्वश्रेष्ठ फिल्मों को पुरस्कृत किया। इंजीनियर अब्दुल रशीद भट की फिल्म दूध गंगा-वेलीज डाइंग लाइफलाइन को पहला पुरस्कार मिला है। एनएचआरसी को देश भर से कुल 303 प्रविष्टियां प्राप्त हुईं थीं। दूसरा पुरस्कार आंध्र प्रदेश के कदारप्पा राजू की फाइट फॉर राइट्स को मिला है।

मानवाधिकार पर बनी लघु फिल्म दूध गंगा-वेलीज डाइंग लाइफलाइन को पहला पुरस्कार (सांकेतिक तस्वीर)

 राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बुधवार को 2024 में मानवाधिकारों पर लघु फिल्मों की प्रतियोगिता में सात सर्वश्रेष्ठ फिल्मों को पुरस्कृत किया। इंजीनियर अब्दुल रशीद भट की फिल्म 'दूध गंगा-वेलीज डाइंग लाइफलाइन' को पहला पुरस्कार मिला है।


एनएचआरसी को देश भर से कुल 303 प्रविष्टियां प्राप्त हुईं

यह फिल्म इस बात पर चिंता जताती है कि कैसे दूध गंगा नदी में विभिन्न अपशिष्टों के प्रवाहित होने से यह प्रदूषित हुई और घाटी के लोगों की भलाई के लिए इसके जीर्णोद्धार की आवश्यकता है। यह फिल्म अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू में हैं तथा फिल्म के सारे शीर्षक अंग्रेजी में हैं। एनएचआरसी को देश भर से कुल 303 प्रविष्टियां प्राप्त हुईं थीं।

दूसरा पुरस्कार आंध्र प्रदेश के कदारप्पा राजू की 'फाइट फॉर राइट्स' को मिला है। यह फिल्म बाल विवाह और शिक्षा के मुद्दे को उठाती है। तीसरा पुरस्कार आर रविचंद्रन द्वारा बनाई गई 'गॉड' को मिला है। इस मूक फिल्म में एक बूढ़े नायक के माध्यम से पेयजल का मूल्य बताया गया है।


चार लघु फिल्मों को विशेष उल्लेख प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया। इनमें तेलंगाना के हनीश उंद्रमतला की 'अक्षराभ्यासम', तमिलनाडु के आर सेल्वम की 'विलायिला पट्टाधारी' (एन एक्सपेंसिव ग्रेजुएट), आंध्र प्रदेश के मदका वेंकट सत्यनारायण की 'लाइफ आफ सीता' और आंध्र प्रदेश के लोटला नवीन की 'बी ए ह्यूमन' हैं।ये पुरस्कार दिल्ली में एनएचआरसी परिसर में आयोजित समारोह में दिए गए।


देश के विभिन्न हिस्सों से 300 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुई
इस अवसर पर एनएचआरसी अध्यक्ष जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन ने संबोधन में कहा कि आयोग का उद्देश्य मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के प्रति जागरूकता पैदा करना है। मानव अधिकारों पर लघु फिल्म प्रतियोगिता पिछले एक दशक से इस उद्देश्य को बहुत प्रभावी ढंग से पूरा कर रही है। 2015 में जब यह प्रतियोगिता शुरू हुई थी तब केवल 40 प्रविष्टियां प्राप्त हुईं थीं और अपने 10वें वर्ष 2024 में देश के विभिन्न हिस्सों से 300 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुई।


ये लोग रहे उपस्थित


इससे पता चलता है कि मानवाधिकार जागरूकता के साथ इस आयोजन ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक लोगों के बीच कितनी लोकप्रियता हासिल की है। इस मौके पर एनएचआरसी सदस्य न्यायमूर्ति विद्युत रंजन सारंगी, विजया भारती सयानी और महासचिव भरत लाल आदि उपस्थित थे।

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