बांह पतली, कमर पर चर्बी, तो समझें जा रही है याददाश्त; AIIMS की स्टडी में सामने आई हैरान करने वाली बात - KRANTIKARI SAMVAD

Breaking

Post Top Ad

Tuesday, July 15, 2025

बांह पतली, कमर पर चर्बी, तो समझें जा रही है याददाश्त; AIIMS की स्टडी में सामने आई हैरान करने वाली बात

बांह पतली, कमर पर चर्बी, तो समझें जा रही है याददाश्त; AIIMS की स्टडी में सामने आई हैरान करने वाली बात

एम्स गोरखपुर में हुई एक स्टडी में 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के 70% लोगों में डिमेंशिया के लक्षण (Dementia Symptoms) मिले हैं। इन सभी में एक बात कॉमन थी और वह है इनकी बांह पतली और कमर पर चर्बी थी। डिमेंशिया की वजह से व्यक्ति की याददाश्त कमजोर होने लगती है और रोजमर्रा के छोटे-छोटे फैसले लेना भी मुश्किल हो जाता है।

डिमेंशिया का क्या है बॉडी साइज से कनेक्शन? (Picture Courtesy: Freepik)

 याददाश्त कमजोर होना, सोचने, बोलने और फैसले लेने में परेशानी से जुड़ी डिमेंशिया (Dementia in Elderly) बीमारी के उन्मूलन में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर का अध्ययन महत्वपूर्ण साबित होगा। 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों पर हुए अध्ययन में 70 प्रतिशत बुजुर्ग डिमेंशिया से पीड़ित मिले हैं।

क्या कहती है स्टडी?

सभी की बांह पतली और कमर पर चर्बी मिली। उनके सोचने और निर्णय लेने की क्षमता भी प्रभावित हो गई थी। डिमेंशिया मुक्त भारत के राष्ट्रीय अभियान में एम्स गोरखपुर ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के साथ मिलकर बुजुर्गों पर अध्ययन किया।

इस अध्ययन में 7 विकासखंडों में काम किया गया। स्टडी में 1013 बुजुर्गों शामिल थे, जिसमें से 709 लोग डिमेंशिया से पीड़ित थे, 416 पुरुषों की याददाश्त कमजोर थी और 293 महिलाएं बीमार थी।


पतली बांह और कमर पर चर्बी है खतरे की घंटी

इस स्टडी में पता चला कि यह बीमारी कम उम्र से ही प्रभावी हो जा रही है। बुजुर्गों में कुपोषण और मोटापा उनकी याददाश्त, ध्यान और सोचने की क्षमता को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जिन बुजुर्गों के बांह के बीच वाले हिस्से का घेरा (मिड अपर आर्म सर्कमफेरेंस) पतला था उनमें याददाश्त और भाषा की क्षमता कमजोर मिली। जिनके पेट और कमर के आसपास ज्यादा चर्बी थी उनमें ध्यान, सोचने की ताकत, भाषा और स्मृति में गिरावट देखी गई।

यह माप पेट के आसपास जमा चर्बी (केंद्रीय मोटापा) का पता लगाने में मदद करता है। इसका अधिक होना यह दर्शाता है कि व्यक्ति को भविष्य में शारीरिक और मानसिक बीमारियों का खतरा अधिक हो सकता है। एम्स और आइसीएमआर अध्ययन का दूसरा चरण शुरू करने जा रहे हैं।


अध्ययन में 40 से 60 वर्ष की उम्र के लोग शामिल होंगे। महानगर के 30 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों को 10-10 की संख्या में तीन श्रेणियों में बांटा जाएगा। पहली श्रेणी में नागरिकों को हफ्ते में चार दिन एक से डेढ़ घंटे तक योग, व्यायाम, संगीत के माध्यम शारीरिक गतिविधि कराकर पोषण के टिप्स, खानपान का प्लान बताया जाएगा। दूसरी श्रेणी के लोगों को सिर्फ जानकारी दी जाएगी, शारीरिक गतिविधि नहीं कराई जाएगी। तीसरी श्रेणी में शामिल नागरिकों को सेंटर पर बुलाया जाएगा, लेकिन जानकारी नहीं दी जाएगी। वह अपने मन से शारीरिक गतिविधि करेंगे।


बुजुर्गों में पोषण और व्यायाम का बड़ा महत्व है। यदि हम समय पर कुपोषण या पेट की चर्बी को पहचान लें तो बुढ़ापे में दिमागी कमजोरी को काफी हद तक रोका जा सकता है। इसके आधार पर होना वाला शोध महत्वपूर्ण है।- डॉ. यू वेंकटेश (अध्ययनकर्ता, असिस्टेंट प्रोफेसर, कम्युनिटी मेडिसिन एंड फैमिली मेडिसिन, एम्स गोरखपुर)

ऐसा हो तो समझ लें प्रभावी हो रहा डिमेंशियाहाल की घटनाओं, वस्तुओं को रखकर भूलना
परिचित का नाम याद न आना
सोचने व ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत
जटिल कार्य को करने में परेशानी
योजना बनाने व निर्णय लेने में कठिनाई
शब्द तलाशने, दूसरों की बात समझने में परेशानी

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages