सवालों में सपाट पिचें, एजबेस्टन टेस्ट के बाद उठने लगे सवाल
भारतीय क्रिकेट टीम ने एजबेस्टन में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में शानदार खेल दिखाते हुए इंग्लैंड को 336 रनों के विशाल अंतर से हरा दिया। इस जीत के बाद भी भारत के कप्तान शुभमन गिल को पिच से शिकायत है। उन्होंने एजबेस्टन की पिच को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं।

एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी का दूसरा टेस्ट समाप्त होने के बाद एक बार फिर यह बहस तेज हो गई है कि क्या सपाट पिचें और ड्यूक गेंद टेस्ट क्रिकेट की मूल भावना को नुकसान पहुंचा रही हैं। रविवार को एजबेस्टन टेस्ट में 336 रन की ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद खुद भारतीय कप्तान शुभमन गिल सपाट पिचों व ड्यूक गेंद को लेकर सवाल उठाया है।
गिल ने कहा कि सपाट पिचें खेल के पारंपरिक प्रारूप के रोमांच को खत्म कर देती हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि आगामी मैचों में इस तरह की बड़े स्कोर वाली पिच शायद देखने को ना मिले।
ऐसे हैं हालात
दरअसल, इंग्लैंड में हाल के वर्षों में जो पिचें तैयार की जा रही हैं, वे घरेलू टीम की बैजबॉल शैली से मेल खाती हैं। दिन के पहले सत्र के बाद बल्लेबाजों के लिए बेहद अनुकूल हो जाती हैं और बल्लेबाजी करना आसान होता है। इसके साथ ही ड्यूक ब्रांड की गेंदें, जिन्हें दुनियाभर में स्विंग व सीम के लिए जाना जाता हैं, अब पहले 20 से 25 ओवर में ही नरम पड़ने लगी हैं। इससे ये अपनी शेप (आकार) खो बैठती हैं और गेंदबाजों के लिए गेंद करना खासा मुश्किल हो जाता है। कई गेंदबाजों का मानना है कि जब गेंद अपनी शेप खो देती है तो उससे न तो स्विंग मिलती है और न ही सीम, इससे विकेट निकालना काफी कठिन हो जाता है।
इससे न सिर्फ उनकी लय बल्कि पूरी टीम की रणनीति पर असर पड़ता है। ऐसे में अगर विपक्षी टीम को पता हो कि विकेट मिलना कठिन है और रन आसानी से बनाए जा सकते हैं, तो खेल का संतुलन पूरी तरह बल्लेबाजों के पक्ष में झुक जाता है।
नाखुश दिखे थे गिल
भारतीय कप्तान गिल ने कहा कि पिच से ज्यादा गेंद बहुत जल्दी नरम हो जाती है। यह मौसम की वजह से है या पिच की, मैं नहीं जानता लेकिन ऐसी परिस्थितियों में विकेट लेना मुश्किल हो जाता है। जब टीम को मालूम हो कि विकेट निकालना कठिन है और रन आसानी से आ रहे हैं तो कई चीजें आपके नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं। टेस्ट मैचों में संतुलन के लिए कम से कम गेंद से कुछ मदद तो मिलनी चाहिए। अगर गेंद कुछ कर रही होती है तो बल्लेबाजी करने में भी मजा आता है, लेकिन अगर शुरुआती 20 ओवर तक ही कुछ होता है और उसके बाद पूरा दिन रक्षात्मक सोच के साथ मैदान पर बिताना पड़े तो खेल की असली भावना कहीं खो जाती है।
गिल ने कहा कि भारत आमतौर पर स्पिन-अनुकूल पिचों पर खेलता है, जहां मैच पांच दिन तक नहीं जाते। इस बारे में गिल ने कहा, यह हमारे लिए बहुत लाभदायक रहा। सौभाग्य से इन टेस्टों में हम ज्यादातर समय बल्लेबाजी कर रहे थे, फील्डिंग नहीं। जब आप लगातार 300-400 का स्कोर कर रहे हों, तो आप हमेशा मैच में बने रहते हैं।
क्या लॉर्ड्स में बदलेगी इंग्लैंड की रणनीति
एजबेस्टन में सपाट पिच को प्राथमिकता देने के बाद अब गुरुवार से शुरू होने वाले लॉर्ड्स टेस्ट की पिच पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। बेन स्टोक्स की अगुआई में इंग्लैंड की टीम घरेलू मैदानों पर टॉस जीतकर गेंदबाजी करना पसंद करती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या टीम इस योजना को सीरीज में आगे भी जारी रखेगी या तेज गेंदबाज जोफ्रा आर्चर की वापसी की उम्मीद स्टोक्स को अपनी योजनाओं में बदलाव करने पर मजबूर करेगी?
लीड्स में ज्यादा उछाल ने इंग्लैंड के तेज गेंदबाजों की मदद की, जबकि एजबेस्टन की 'उपमहाद्वीप जैसी परिस्थितियों' में आकाश दीप और मोहम्मद सिराज ने नई गेंद को मेजबान गेंदबाजों की ज्यादा स्विंग करने में सफल रहे। इंग्लैंड को लॉर्ड्स के पवेलियन छोर से आकाशदीप के खतरे से सावधान रहने की जरूरत होगी, क्योंकि ढलान के कारण गेंद सामान्य से थोड़ी अधिक स्विंग करती है। सिराज ने 2021 में लॉर्ड्स में भारत को यादगार जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।
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