भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ एजबेस्टन में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में शानदार जीत हासिल की। इस जीत के हीरो रहे कप्तान शुभमन गिल लेकिन आकाशदीप ने अपनी गेंदबाजी से भी काफी बड़ा रोल निभाया। उन्होंने पहली पारी में चार और दूसरी पारी में छह विकेट लेते हुए कुल 10 विकेट हासिल किए।

कैंसर से जूझ रहीं अखंड ज्योति अपने भाई की कामयाबी को देख अपने दर्द को कुछ देर के लिए भूल गईं। इंग्लैंड के विरुद्ध एजबेस्टन मैदान पर खेले गए टेस्ट मैच के भारतीय नायक आकाश दीप के क्रिकेटर बनने में उनकी बहन अखंड ज्योति का बड़ा योगदान रहा है, जो खुद अब कोलोन कैंसर के तीसरे चरण से जूझ रही हैं।
आकाश दीप ने 2015 में छह महीने के अंतराल में पिता रामजी सिंह और अपने सबसे बड़े भाई को खो दिया था तब उनके क्रिकेट करियर पर संकट छा गया था। निराशा के उस क्षण में अखंड ज्योति ने अपने सबसे छोटे भाई के सपने को पूरा करने के लिए लगातार प्रेरित किया।
उस समय उनकी बहन ने कहा था कि इसी फील्ड (क्षेत्र) में आगे बढ़े। इस वाक्ये के कई साल के बाद उन्होंने इंग्लैंड के विरुद्ध 10 विकेट लेकर भारत की ऐतिहासिक जीत की नींव रखी। इस तेज गेंदबाज ने अपने प्रदर्शन को मैच के बाद भावुक होकर अपनी बहन को समर्पित किया।
कीमोथेरेपी पर है बहन
आकाश दीप ने मैच की पहली पारी में 88 रन देकर चार विकेट लेने के बाद दूसरी पारी में 99 रन देकर छह विकेट लेकर अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। उनके इस प्रदर्शन की बदौलत भारत ने न केवल जीत दर्ज की, बल्कि पांच मैचों की सीरीज को 1-1 से भी बराबर किया। इस तेज गेंदबाज के इस प्रदर्शन के पीछे एक भावुक कहानी छिपी है। अखंड ज्योति 14 मई को कोलन कैंसर की सर्जरी करवाने के बाद अब कीमोथेरेपी पर हैं। ज्योति के पति नितीश कुमार सिंह सेना से सेवानिवृत्त है और अब बैंक में काम कर रहे हैं।
बहन की सलाह ने बदली जिंदगी
उन्होंने बताया कि यह पूरे परिवार के लिए गर्व की बात है। पिता की मृत्यु के बाद आकाश दिल्ली में क्लब क्रिकेट खेल रहे थे, लेकिन उन्हें वह सफलता नहीं मिल रही थी। यह ज्योति ही थीं जिन्होंने उनसे कहा कि इसे गंभीरता से लो। अगर जरूरत पड़े तो कहीं और जाओ और इस सपने को पूरा करो। उन्होंने कहा कि वह 2017 में कोलकाता चले गए और फिर बंगाल अंडर-23 के लिए चुने गए। उन्होंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और यहीं से उनकी जिंदगी शुरू हुई।
परिवार ने आर्थिक तंगी के बावजूद कभी आकाश दीप पर भरोसा करना कम नहीं किया। नितीश ने कहा कि हमारे पास जो था, उसी से हम गुजर-बसर करते रहे। आकाश हमेशा अपनी उम्र से कहीं ज्यादा परिपक्व था। उन्होंने कहा कि ज्योति आकाश दीप से 10 साल बड़ी है। पिता तथा भाई की मौत के बाद आकाश का अपनी बहन के साथ रिश्ता और भी गहरा हो गया।
नितीश ने कहा कि वे सब कुछ साझा करते हैं। बात चाहे कोई फैसला लेने की हो, चुटकुले हो या ताने मारना हो। वे हमेशा एक-दूसरे को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं। कीमोथेरेपी के दौरान भी अखंड ज्योति ने सुनिश्चित किया कि उसका भाई खेल पर ध्यान केंद्रित रखे। इंग्लैंड दौरे से पहले, परिवार आकाश को छोड़ने के लिए हवाई अड्डे गया, जहां उसकी बहन ने उससे कहा कि वह उसके स्वास्थ्य के बारे में चिंता न करे और देश के लिए अच्छा खेलने पर ध्यान केंद्रित करे।
उन्होंने बताया कि वह हर दिन अपने भाई से बात करती है। सिंह ने कहा कि मैच खत्म होने के तुरंत बाद आकाश का फोन आया और उन्होंने उससे वीडियो कॉल पर बात की। हम कल रात लगभग दो बजे सोए। आकाश के जीजा ने कहा अगर वह (आकाश) इसी तरह प्रदर्शन करता रहा तो इससे उसे मानसिक रूप से ठीक होने में मदद मिलेगी और उपचार अधिक प्रभावी होगा। उस पर कीमोथेरेपी का अच्छा असर हो रहा है और अब पहले से बहुत बेहतर है।
बेटे की कामयाबी पर जताई खुशी
आकाश की मां लड्डूमा देवी ने बेटे की कामयाबी पर खुशी जताई। वह भावुक हो गई है। बहन अखंड ज्योति बोलीं कि जब भाई विकेट ले रहा था तो हम टीवी के सामने उसे देख तालियां बजा रहे थे। बीमारी का दर्द जैसे भूल गए हो। आकाशदीप की मां रायबरेली रोड सरस्वती पुरम बेटी के घर आई हुई हैं।
चचेरे भाई के साथ अकादमी की स्थापना की
आकाश ने अपने चचेरे भाई बैभव कुमार के साथ सासाराम में आकाश-बैभव क्रिकेट अकादमी की स्थापना की। इस अकादमी में अभी 200 से अधिक खिलाड़ी प्रशिक्षण लेते है। बैभव ने कहा कि इतने सारे संघर्षों को देखने के बाद आकाश हमेशा समाज को कुछ वापस देना चाहता था।
उन्होंने कहा कि हमारी अकादमी में सभी सुविधाएं ( बॉलिंग मशीन, फ्लडलाइट्स, नेट) हैं। हम बहुत कम कीमत पर यह सुविधाएं मुहैया कराते है ताकि मध्यम और निम्न आय वाले परिवारों के बच्चों को भी अपने सपने को साकार करने का मौका मिले। उनके गांव बद्दी में मैच के बाद से जश्न जारी है।
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