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Thursday, July 3, 2025

दिल थाम लीजिए! अगले कुछ दिनों में तेज हो जाएगी पृथ्वी की स्पीड, पहली बार बदला Earth का 'टाइम टेबल'

 दिल थाम लीजिए! अगले कुछ दिनों में तेज हो जाएगी पृथ्वी की स्पीड, पहली बार बदला Earth का 'टाइम टेबल'


एक नई रिपोर्ट के अनुसार हमारी धरती इस जुलाई और अगस्त में कुछ तेज़ रफ्तार से घूमने वाली है जिसके कारण दिन थोड़े छोटे हो जाएंगे। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस रफ्तार में वृद्धि के पीछे धरती के गर्भ में होने वाली हलचल और ग्लेशियरों के पिघलने से द्रव्यमान में हो रहे बदलाव मुख्य कारण हो सकते हैं।


अतीत में धरती को सूरज का एक चक्कर पूरा करने में 490 से लेकर 372 दिन तक लगते थे।



 हमारी धरती इस जुलाई और अगस्त में कुछ तेज़ रफ्तार से घूमने वाली है, जिससे दिन थोड़े छोटे हो जाएंगे। टाइमएंडडेट.कॉम की एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, 9 जुलाई, 22 जुलाई और 5 अगस्त को दिन सामान्य से कुछ मिलीसेकंड कम होंगे। मिसाल के तौर पर, 5 अगस्त का दिन करीब 1.51 मिलीसेकंड छोटा होगा।


खास बात यह है कि धरती हर साल अपनी धुरी पर 365 से ज़्यादा बार चक्कर लगाती है। इसी से साल के दिन तय होते हैं, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था। कैल्कुलेशन से पता चलता है कि अतीत में धरती को सूरज का एक चक्कर पूरा करने में 490 से लेकर 372 दिन तक लगते थे।


लेकिन क्यों तेज घूमेगी धरती?

वैज्ञानिकों का मानना है कि इस रफ्तार में इजाफे के पीछे कई वजहें हो सकती हैं। धरती के गर्भ में होने वाली हलचल इसका एक कारण हो सकती है। इसके अलावा, ग्लेशियरों के पिघलने से द्रव्यमान में हो रहे बदलाव भी भूमिका निभा सकता है। अल नीनो और ला नीना जैसी घटनाएं भी धरती की चाल को प्रभावित कर सकती हैं।

एनडीटीवी के मुताबिक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड्स एंड टेक्नोलॉजी के फिजिसिस्ट जूडा लेविन ने 2021 में डिस्कवर मैगजीन को बताया, "लीप सेकंड की जरूरत न पड़ना एक अनपेक्षित बात थी।"


उन्होंने कहा, "सबको यही लगता था कि धरती की रफ्तार धीमी होती रहेगी और लीप सेकंड की जरूरत पड़ती रहेगी। यह नतीजा वाकई हैरान करने वाला है।"

धरती की इस तेज रफ्तार से वैश्विक समय के कैल्कुलेशन में बदलाव की जरूरत पड़ सकती है। हो सकता है कि 2029 में पहली बार एक लीप सेकंड को कम करना पड़े।




इस बदलाव में क्या चांद भी निभा रहा किरदार?

टाइमएंडडेट.कॉम की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2025 में जिन तीन तारीखों को दिन सबसे छोटे होंगे, उन दिनों चांद धरती के भूमध्य रेखा से अपनी अधिकतम दूरी पर होगा। यह इत्तेफाक भी इस अनोखे बदलाव को और रहस्यमयी बना रहा है।

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