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Thursday, November 27, 2025

मुनीर के हाथों 'पाकिस्तान का कंट्रोल', बनाया गया CDF; राष्ट्रपति से छीनकर आसिम को मिला 'न्याक्लियर बटन'

 मुनीर के हाथों 'पाकिस्तान का कंट्रोल', बनाया गया CDF; राष्ट्रपति से छीनकर आसिम को मिला 'न्याक्लियर बटन'


पाकिस्तान में सेना का प्रभाव बढ़ गया है। जनरल आसिम मुनीर पहले चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस (CDF) बने। वे तीनों सेनाओं के सुप्रीम कमांडर होंगे और उनका कार्यकाल पांच साल का होगा। परमाणु हथियारों का कंट्रोल भी अब सीधे मुनीर के पास होगा। उन्हें राष्ट्रपति जैसी कानूनी सुरक्षा भी मिल गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि मुनीर अब पाकिस्तान के सबसे ताकतवर व्यक्ति बन गए हैं।




मुनीर के हाथों पाकिस्तान का कंट्रोल बनाया गया CDF (फाइल फोटो)

 पाकिस्तान में सेना का प्रभाव एक नए दौर में प्रवेश कर चुका है। देश के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर को गुरुवार को पाकिस्तान का पहला चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस (CDF) बना दिया गया। यह पद हाल ही में हुए 27वें संवैधानिक संशोधन के तहत बनाया गया है।


इसके साथ ही मुनीर अब आर्मी, एयरफोर्स और नेवी तीनों सेनाओं के सुप्रीम कमांडर बन गए हैं। उनका कार्यकाल भी अब पांच साल के लिए तय कर दिया गया है। इस संशोधन के बाद चेयरमैन जॉइट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी (CJCSC) का पद खत्म कर दिया गया।

कब से चल रही थी यह भूमिका?

यह भूमिका 1976 से चली आ रही थी, लेकिन मौजूदा CJCSC जनरल साहिर शामशाद मिर्जा की रिटायरमेंट के साथ इसे समाप्त कर दिया गया। बता दें, पाकिस्तान की आबादी 24 करोड़ है और एक परमाणु शक्ति है, लेकिन लंबे समय से सिविल और सैन्य शासन के बीच झूलता रहा है।

आखिरी बार जनरल परवेज मुशर्रफ ने 1999 में सत्ता पर कब्जा कर खुला सैन्य शासन चलाया था। इसके बाद लोकतांत्रिक सरकारें तो आईं, लेकिन सेना का प्रभाव लगातार मजबूत बना रहा। नए संशोधन से सोना का पलड़ा और भारी हो गया है।

मुनीर के हाथों परमाणु कंट्रोल

अब परमाणु हथियारों की कमान भी सीधे CDF यामी आसिम मुनीर के कंट्रोल में होगी। पहले यह अधिकार राष्ट्रपति और कैबिनेट के पास भी था, लेकिन अब शीर्ष नियंत्रण मुनीर को दे दिया गया है। इसी बदलावसे मुनीर का कार्यकाल भी बढ़ गया। पहले वे 27 नवंबर 2027 को रिटायर होने वाले थे, लेकिन अब नए पद पर वे 2030 तक बने रहेंगे।

संशोधन के बाद मुनीर को राष्ट्रपति जैसी आजीवन कानूनी सुरक्षा मिल गई है। यानी उनके खिलाफ किसी तरह की कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकेगी। यह सुरक्षा एयरफोर्स और नेवी चीफ को भी दी गई है। अब CDF के पास यह अधिकार भी होगा कि वे सरकार को वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (VCOAS) की नियुक्ति का सुझाव दें, जिसे सरकार मंजूरी देगी। पहले यह पूरी तरह सिविल सरकार का अधिकार था।


न्यूक्लियर स्ट्रैटेजिक कमांड के प्रमुख की नियुक्ति में भी अब सेना की भूमिका बढ़ेगी, क्योंकि CDF की सलाह पर ही सरकार यह फैसला करेगी। बता दें, मुनीर नवंबर 2022 में आर्मी चीफ बने थे। इससे पहले वे मिलिट्री इंटेलिजेंस और बाद में ISI के प्रमुख भी रहे। 2019 में उन्हें अचानक ISI प्रमुख के पद से हटा दिया गया था, जिसकी वजह कभी सामने नहीं आई।

इमरान के हटने के बाद बदली मुनीर की किस्मत

इमरान खान के सत्ता से हटने के बाद मुनीर की किस्मत बदल गई और नई सरकार ने उन्हें आर्मी चीफ बनाया। इस साल भारत के साथ चार दिन तक चले तनाव के बाद उन्हें फील्ड मार्शल के पद पर प्रमोट किया गया।

रक्षा विशेषज्ञ और लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) नईम खालिद लोधी के मुताबिक, फील्ड मार्शल आसिम मुनीर अब पाकिस्तान के सबसे ताकतवर व्यक्ति बन चुके हैं। राजनेताओं ने अपने छोटे फायदे के लिए देश के भविष्य को दांव पर लगा दिया है।

फरवरी 2024 के चुनावों के बाद जिस गठबंधन ने सत्ता संभाली है, उसे सेना के करीब माना जाता है। विश्लेषकों के कहना है कि नेताओं ने यह संशोधन अपनी सुरक्षा के लिए किया ताकि मुनीर भविष्य में भी उनका समर्थन करते रहें।

आजीवन रहेंगे फील्ड मार्शल

साउथ एशिया विशेषज्ञ शुजा नवाज ने कहा कि मुनीर के पास अब उतनी ही शक्ति है जितनी 1999 में सत्ता पर कब्जा करने वाले मुशर्रफ के पास थी। उन्होंने कहा," मुनीर अब सेना की संरचना को फिर से गढ़ सकते हैं और बलों का आधुनिकीकरण कर सकते हैं। फील्ड मार्शल का पद आजीवन होता है।"

मुनीर को कुछ राजनयिक सफलताएं भी मिली हैं, जिनमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के साथ निजी लंच शामिल है। लेकिन विशेषज्ञ ने चेतावनी देते हुए कहा कि ट्रंप अनिश्चित हैं और अमेरिका के लिए भारत कहीं बड़ा साझेदार है।

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